भारत – फिलीपींस साझेदारी और दक्षिण चीन सागर
भारत और फिलीपींस ने द्विपक्षीय सहयोग पर संयुक्त आयोग (JCBC) की 5वीं बैठक का आयोजन किया है। इस दौरान दोनों देशों ने अपनी रक्षा साझेदारी का विस्तार करने का निर्णय लिया ।
दक्षिण चीन सागर क्षेत्र पर चीन द्वारा अपना दावा करने की वजह से भारत – फिलीपींस साझेदारी में रक्षा क्षेत्रक एक प्रमुख स्तंभ बन गया है।
भारत ने सभी हितधारकों से 2016 में परमानेंट कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन द्वारा दक्षिण चीन सागर (SCS) पर दिए गए फैसले का पालन करने की अपील की है। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून अभिसमय (UNCLOS ) का सम्मान करने का आह्वान किया है।
इस फैसले में दक्षिण चीन सागर के जल क्षेत्र पर चीन के व्यापक दावों का खंडन किया गया है। इस क्षेत्र को लेकर चीन का दक्षिण – पूर्वी एशियाई देशों के साथ विवाद है।
दक्षिण चीन सागर विवाद:
- चीन दक्षिण चीन सागर के 90% हिस्से पर अपना दावा करता है । उसका यह दावा U-आकार की नाइन-डैश लाइन पर आधारित है।
- क्षेत्रीय विवाद: ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम दक्षिण चीन सागर पर चीन के इस दावे का विरोध करते हैं।
दक्षिण चीन सागर में भारत के हित:
- इस क्षेत्र से जुड़े वाणिज्यिक हित
- नौवहन की स्वतंत्रता और
- नियम–आधारित व्यवस्था ।
UNCLOS को 1982 में अपनाया गया था और 1994 में लागू किया गया था । यह दुनिया के महासागरों और समुद्रों पर कानून व व्यवस्था की एक व्यापक रूपरेखा निर्धारित करता है। साथ ही यह महासागरों और उनके संसाधनों के सभी प्रकार के उपयोगों को शासित करने वाले नियम भी बनाता है।
स्रोत – द हिन्दू