भारत–पाकिस्तान स्थायी सिंधु आयोग
हाल ही में भारत-पाकिस्तान स्थायी सिंधु आयोग (PIC) की 118वीं बैठक सम्पन्न हुई है,स्थायी सिंधु आयोग (PIC) भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद का तंत्र है।
इसका गठन सिंधु जल संधि (IWT) के तहत किया गया है। इसका उद्देश्य दोनों देशों की सरकारों द्वारा इस संधि के कार्यान्वयन से जड़े प्रश्नों पर चर्चा करना और उनको हल करना है।
वर्ष में कम से कम एक बार इसकी बैठक अनिवार्य है।
सिंधु जल संधि (IWT) के बारे में
- IWT पर वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान ने हस्ताक्षर किये थे। विश्व बैंक इस संधि में तीसरे पक्ष के गारंटीकर्ता के रूप में शामिल है।
- यह एक जल-वितरण संधि है। यह सिंधु नदी प्रणाली से जल के उपयोग से संबंधित दोनों देशों के अधिकारों और दायित्वों का निर्धारण करती है।
- इस नदी प्रणाली में छह मुख्य नदियां हैं, जिनकी कई सहायक नदियां हैं।
- इस संधि के तहत तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलज) के जल के उपयोग का विशेष अधिकार भारत को दिया गया है।
- पश्चिमी नदियों (सिंधु, चिनाब और झेलम) के उपयोग का अधिकार पाकिस्तान को दिया गया है।
- पश्चिमी नदियों के मामले में भारत को कृषि, नौवहन, घरेलू उपयोग आदि जैसे कुछ अधिकार दिए गए हैं। भारत को रन ऑफ द रिवर परियोजनाओं के माध्यम से जलविद्युत उत्पादन करने का अधिकार भी दिया गया है।
- IWT संधि से एकतरफा निकासी का प्रावधान नहीं है।
- यह संधि तब तक प्रभावी रहेगी जब तक कि दोनों देश एक अन्य पारस्परिक रूप से सहमत संधि की पुष्टि नहीं करते।
- भारत द्वारा झेलम और चिनाब नदियों की सहायक नदियों पर क्रमशः किशनगंगा तथा रतले जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर दोनों देशों के बीच असहमति है।
स्रोत –द हिन्दू