भारत द्वारा 2030 तक 350 अरब डॉलर का ई-कॉमर्स निर्यात करने का लक्ष्य
हाल ही में “वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल” (GTRI) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को 2030 तक 350 अरब डॉलर का ई-कॉमर्स निर्यात करने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए ।
यह रिपोर्ट “ई-कॉमर्स निर्यात को आईटी से बड़ी सफल कहानी बनाना: भारत की ई-कॉमर्स निर्यात क्षमता को प्राप्त करने के लिए ब्लूप्रिंट” शीर्षक से प्रकाशित की गई है।
इस रिपोर्ट में निम्नलिखित को रेखांकित किया गया है:
- वैश्विक ‘व्यवसाय–से—उपभोक्ता’ (B2C) ई-कॉमर्स निर्यात 2030 तक मौजूदा 800 बिलियन डॉलर से बढ़कर 8 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है। भारत इसका लाभ उठाने की बेहतर स्थिति में है।
- इसके अग्रलिखित कारण हैं: भारत से निर्यात की प्रति इकाई पर उच्च लाभ मार्जिन, कुशल कारीगरों की अधिक संख्या बढ़ता बाजार आदि ।
- ई-कॉमर्स या इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा इंटरनेट पर वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद व बिक्री है।
- इस समय भारत का ई-कॉमर्स निर्यात केवल 2 बिलियन डॉलर का है। यह देश के कुल वस्तु निर्यात के 0.5 प्रतिशत से भी कम है।
कम निर्यात के लिए निम्नलिखित कारण जिम्मेदार हैं:
- व्यापक नियमों का अभाव है। इससे लघु कंपनियों पर अनुपालन का बोझ बढ़ता जा रहा है;
- उत्पादों की ब्रांडिंग का अभाव है;
- वाणिज्यिक निर्यात लेन-देन के लिए अनुकूल परिवेश की कमी है।
रिपोर्ट में की गई प्रमुख सिफारिशें –
- ई-कॉमर्स निर्यात पर एक अलग नीति जारी की जानी चाहिए। इसमें व्यवसाय विकास और विनियामकीय बोझ को कम करने के लिए प्रावधान होने चाहिए।
- एक ई-कॉमर्स नेशनल ट्रेड नेटवर्क की स्थापना की जानी चाहिए। इसके माध्यम से केंद्रीय प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म का निर्माण करने के लिए अलग-अलग हितधारकों को एक साथ लाना चाहिए ।
- ई-कॉमर्स शिपमेंट्स के लिए अलग कस्टम कोड्स बनाने की आवश्यकता है इसके अलावा, ई-कॉमर्स शिपमेंट्स के लिए ग्रीन चैनल क्लीयरेंस की अनुमति दी जानी चाहिए।
स्रोत – आउटलुक ऑफ़ इंडिया