भारत द्वारा प्याज निर्यात पर प्रतिबंध
हाल ही में भारत द्वारा प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसके विरुद्ध अमेरिका और जापान नेभारत के विरुद्ध विश्व व्यापार संगठन (WTO) में आपत्ति दर्ज की है।
दोनों देशों ने आरोप लगाया है कि बिना पूर्व सूचना के निर्यात पर प्रतिबंध आयात करने वाले देशों के लिए समस्या उत्पन्न करता है।
साथ ही, भारत में प्याज उत्पादकों ने मांग की है कि केंद्र सरकार को तदर्थ निर्णय लेने की बजाय प्याज के आयात और निर्यात पर एक व्यापक नीति का प्रारूपतैयार करना चाहिए।
प्याज पर व्यापक नीति की आवश्यकता
- निर्यात में सहायता के लिए घरेलू बाजार में मांगआपूर्ति असंतुलन पर अंकुश लगाना।
- प्याज के निर्यात पर अनिश्चित प्रतिबंध के कारण प्याज उत्पादकों को भी अत्यधिक नुकसान हुआ है।
- प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध से बांग्लादेश जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में विकृति उत्पन्न हो रही है।
- पाकिस्तान ने विगत कुछ वर्षों से खाड़ी देशों के बाजार में भारतीय प्याज की हिस्सेदारी केसाथ प्रतिस्पर्धा करना आरंभ कर दिया है।
- अवसर का लाभ उठाना चाहिए, क्योंकि प्याज का निर्यात सरकार के लिए विदेशी मुद्रा अर्जितकरने हेतु मुख्य साधनों में से एक है।
- भारत दूसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक देश (चीन के पश्चात) है।
- वित्तीय वर्ष 2021 में, भारत ने 378 मिलियन डॉलर मूल्य के प्याज का निर्यात किया था, जो विगतवर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है।
- शीर्ष निर्यात गंतव्य बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और श्रीलंका थे।
सरकार द्वारा की गई पहलें
- पण्य निर्यात प्रोत्साहन योजना (Merchandise Export Incentive Scheme: MEIS) :अधिशेष प्याज की फसल के दौरान निर्यात को प्रोत्साहित करती है।
- ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’: प्याज की आपूर्ति-मांग में संतुलन बनाए रखने और कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए आरंभ किया गया है।
- एकीकृत बागवानी विकास मिशन :एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture: MIDH) के तहत किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ कम लागत वाली प्याज भंडारण संरचनाएं निर्मित की गई हैं।
स्रोत – द हिन्दू