भारत द्वारा चीनी निर्यात सब्सिडी पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अपील

भारत द्वारा चीनी निर्यात सब्सिडी पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अपील

हाल ही में भारत ने चीनी निर्यात सब्सिडी पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) विवाद समिति के निर्णय के विरुद्ध अपील की है ।

इससे पूर्व ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और ग्वाटेमाला ने शिकायत की थी कि भारत द्वारा गन्ना उत्पादकों को प्रदान की जाने वाली घरेलू सहायता WTO से अनुमत सीमा से अधिक है। साथ ही, भारत चीनी मिलों को निषिद्ध निर्यात सब्सिडी भी प्रदान करता है। परिणामस्वरूप, समिति ने अपने निष्कर्ष में यह पाया कि भारत कृषि पर समझौते (AOA) के तहत अपने दायित्वों के असंगत रूप से कार्य कर रहा है।

  • ब्राजील के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है।
  • भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अपीलीय निकाय के समक्ष इस निर्णय को चुनौती दी है। यह निकाय इसप्रकार के व्यापार विवादों पर अंतिम प्राधिकारी निकाय है।
  • AoA घरेलू समर्थन, निर्यात सब्सिडी और बाजार पहुंच के क्षेत्रों में समर्थन को कम करने के लिए विशिष्ट प्रतिबद्धताएं प्रदान करता है।
  • गन्ना उत्पादकों को घरेलू समर्थन उचित और लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Price: FRP), राज्य-परामर्शी मूल्य (State-Advised Prices: SAPs) इत्यादि जैसे उपायों के माध्यम से प्रदान किया जाता है।
  • AOA के अनुसार घरेलू समर्थन, निर्धारित न्यूनतम स्तर (Dominimia) से अधिक नहीं होना चाहिए।
  • यह न्यूनतम स्तर, विकसित देशों के लिए उत्पादन मूल्य का 5% और विकासशील देशों के लिए 10% तक निर्धारित किया गया है।
  • भारत की निर्यात सब्सिडी में उत्पादन सहायता योजना, बफरस्टॉक योजना और विपणन एवं परिवहन योजना इत्यादि शामिल हैं।
  • AOA और सब्सिडी तथा प्रतिकारी (Countervailing) उपायों पर समझौते के तहत, WTO के सदस्यों से निर्यात सब्सिडी कई कृषि उत्पादों हेतु प्रतिबंधित है।

स्रोत – द हिन्दू

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