द्वितीय ‘भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने टोक्यो में आयोजित द्वितीय ‘भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में भाग लिया है ।
2+2 वार्ता भारत तथा उसके सहयोगी देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों की बैठक का एक प्रारूप है। इसके तहत सामरिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता भागीदार देशों को एक-दूसरे की सामरिक चिंताओं को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम बनाती है। इसके माध्यम से वे वैश्विक परिवेश को बदलने में एक मजबूत और अधिक एकीकृत रणनीतिक संबंध बनाने का प्रयास करते हैं।
भारत-जापान 2+2 वार्ता की मुख्य विशेषताए:
दोनों देशों ने निम्नलिखित के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की है:
- नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रति,
- अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानदंडों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने के प्रति
- और राष्ट्रीय अधिकारिता से परे वैश्विक परिसंपत्तियों जैसे महासागर, बाह्य अंतरिक्ष आदि (global commons) की सुरक्षा के प्रति।
- दोनों देशों ने जापानी एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स और भारतीय वायु सेना के बीच प्रथम ‘लड़ाकू अभ्यास’ आयोजित करने का निर्णय लिया है।
- दोनों देश चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद या क्वाड (Quad) और आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन पर पहल (SCRI) जैसे तंत्रों के माध्यम से एक स्वतंत्र व मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रहे हैं।
हिंद-प्रशांत में प्रमुख द्विपक्षीय सहयोग-
- एकीकृत हिंद-प्रशांत रणनीतिः यह अंतर्राष्ट्रीय कानून, समुद्री सुरक्षा, प्रौद्योगिकी आदि के नियम पर आधारित है।
- पारस्परिक लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति समझौता (MLSA): यह सेनाओं को एक-दूसरे के सैन्य अड्डों और अन्य आपूर्तियों का इस्तेमाल करने की अनुमति देता है।
- एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर (AAGC): यह अफ्रीका में अवसंरचना और कनेक्टिविटी के निर्माण के लिए भारत व जापान का एक संयुक्त प्रयास है।
स्रोत –द हिन्दू