भारत के 14 बाघ अभयारण्यों में बाघों के संरक्षण में वैश्विक मानक स्थापित किये गए

भारत के 14 बाघ अभयारण्यों में बाघों के संरक्षण में वैश्विक मानक स्थापित किये गए

विश्व बाघ दिवस 2021 के अवसर पर, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारत के 51 टाइगर रिजर्स में से 14 को कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स (CATS) मान्यता प्रदान करने की घोषणा की है।

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की थीम है- “उनका अस्तित्व हमारे हाथों में है (Their Survival is in our hands)”।

CATS एक विश्व स्तरीय स्वीकृत संरक्षण साधन है। यह बाघों के प्रबंधन के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करता है और प्रासंगिक संरक्षित क्षेत्रों में इन मानकों के मूल्यांकन को प्रोत्साहित करता है।

इसे वर्ष 2013 में आरंभ किया गया था। इसे भारत के 94 स्थलों सहित संपूर्ण विश्वके 125 स्थानों पर लागू किया गया है।

बाघों की स्थिति और उनके संरक्षण के लिए किए गए उपायः

  • भारत ने वर्ष 2010 में बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा के अनुसार बाघों की आबादी को दोगुना करने के लक्ष्य को 4 वर्ष पूर्व ही प्राप्त कर लिया था।
  • भारत में नामित बाघ अभयारण्यों में बाघों के संरक्षण के लिए संबंधित राज्यों को केंद्रीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया है।
  • भारत में बाघों की IUCN स्थिति एंडेंजर्ड (Endangered) है ।
  • देश में बाघों की सर्वाधिक संख्या मध्य प्रदेश में हैं। इसके उपरांत कर्नाटक और उत्तराखंड का स्थान है।

CA|TS मान्यता प्राप्त 14 रिजर्व हैं:

मानस, काजीरंगा और ओरांग (असम); सुंदरबन (पश्चिम बंगाल); वाल्मीकि (बिहार); दुधवा (उत्तर प्रदेश); पन्ना, कान्हा,

सतपुड़ा एवं पेंच (मध्य प्रदेश); अन्नामलाई व मुदुमलाई (तमिलनाडु); परम्बिकुलम (केरल) तथा बांदीपुर (कर्नाटक)।

स्रोत – द हिन्दू

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