संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत के 100 से ज्यादा पुरावशेषों को करेगा वापस
हाल ही में अमेरिकी सरकार ने भारत से चुराए गए 100 से अधिक भारतीय पुरावशेषों(Antiquities) को वापस लौटाने का फैसला किया है।
भारत और अमेरिका ने आपराधिक मामलों पर पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (Mutual Legal Assistance Treaty: MLAT) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस संधि में पुरावशेषों को मूल देशों को वापस करने पर एक-दूसरे को सहायता करने का प्रावधान भी शामिल है।
MLAIs एक ऐसा तंत्र है, जिसके तहत देश आपराधिक मामलों से निपटने के लिए औपचारिक सहायता प्रदान करने और प्राप्त करने हेतु एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि अपराधी कानून की उचित प्रक्रिया से बच न पाए । केंद्रीय गृह मंत्रालय MLAT के तहत न्यायालय के आदेशों को निष्पादित करने के लिए नोडल मंत्रालय है ।
अमेरिका से लाए जाने वाले कुछ पुरावशेष; जैसे कि शिव, पार्वती, नटराज आदि की प्रतिमाएं तमिलनाडु के चोल-युगीन मंदिरों से संबंधित हैं ।
पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम (AATA), 1972 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से बिना लाइसेंस के पुरावशेष वस्तुओं के निर्यात को एक दंडनीय अपराध बनाता है । इसके अलावा, सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 भी पुरावशेषों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है।
नटराज मूर्ति:
- नृत्य मुद्रा में शिव की कांस्य निर्मित नटराज मूर्ति चोल युगीन कला का उत्कृष्ट उदाहरण है । शिव, चोल राजवंश के इष्टदेव थे ।
- इसमें शिव अपने ऊपरी दाहिने हाथ में डमरू धारण किए हुए हैं। डमरू की ध्वनि सृष्टि के सृजन का प्रतीक है।
- उनके ऊपरी बाएं हाथ में शाश्वत अग्नि है । यह अग्नि ब्रह्मांड के विनाश का प्रतीक है। उनका निचला दाहिना हाथ ‘अभयहस्त मुद्रा’ में है। यह भय को दूर करने का प्रतीक है।
- इस प्रतिमा में एक बौने जैसी आकृति को शिव के दाहिने पैर के नीचे दबा हुआ दिखाया गया है ।
- यह बौने जैसी आकृति अज्ञानता व भ्रम का प्रतीक दैत्य ‘अप्समार’ है। यह दैत्य मानव के पथभ्रष्ट होने का कारण है।
- शिव का आगे वाला बायां हाथ उनके उठे हुए बाएं पैर को इंगित करता है । यह मोक्ष मार्ग का प्रतीक है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस