समुद्री सहयोग बढ़ाने हेतु भारत का पाँच सूत्री एजेंडा
समुद्री सहयोग बढ़ाने हेतु भारत का पाँच सूत्री एजेंडा
हाल ही में, भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा ‘समुद्री सुरक्षा में वृद्धि’ (Enhancing Maritime Security) विषय पर ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (UNSC) में एक खुली बहस की अध्यक्षता की गयी है ।
इसके पश्चात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के द्वारा ‘समुद्री सुरक्षा’ पर भारत के अध्यक्षीय वक्तव्य को पारित कर दिया गया।
समुद्री क्षेत्र में वर्तमान चुनौतियां:
- समुद्री मार्ग, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए जीवन रेखा हैं। लेकिनसमुद्री मार्गों का समुद्री-डकैती और आतंकवाद के लिए दुरुपयोग किया जाता रहा है ।
- कई देशों के मध्य समुद्र को लेकर विवाद हैं साथ ही जलवायु परिवर्तन, भी समुद्री क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।
समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिए प्रधान मंत्री द्वारा निर्धारित 5 सूत्री एजेंडा:
- वैध समुद्री व्यापार की बाधाओं को दूर करना।
- अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार समुद्री विवादों का शांतिपूर्ण समाधान।
- प्राकृतिक आपदाओं और गैर-राज्य अभिकर्ताओं (Non State Actors – NSA) से होने वाले खतरे का मुकाबला।
- समुद्री संसाधनों का संरक्षण।
- उत्तरदायित्व-पूर्ण समुद्री संपर्क को बढ़ावा देना।
समुद्री सहयोग बढ़ाने हेतु भारत के प्रयास:
- क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास अर्थात ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region- SAGAR)।
- वर्ष 2008 से, भारतीय नौसेना द्वारा हिंद महासागर में समुद्री डकैती का मुकाबला करने के लिए गश्त जारी है।
- व्हाइटशिपिंगइनफार्मेशनफ्यूजन सेंटर (White Shipping Information Fusion Centre)
- कई देशों में जल सर्वेक्षण और समुद्री सुरक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण हेतु सहायता।
- भारत का ‘डीपओशन मिशन’ ।
सोत –द हिन्दू
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