भारत का पहला क्रिप्टोगैमिक गार्डन
हाल ही में, उत्तराखंड राज्य में देहरादून के चकराता शहर में भारत के पहले ‘क्रिप्टोगैमिक गार्डन’ (Cryptogamic Garden) का उद्घाटन कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस उद्यान में लाइकेन, फर्न और कवक की लगभग 50 प्रजातियाँ पाई जायेंगी। विदित हो कि लाइकेन, फर्न और कवक को सामूहिक रूप से क्रिप्टोगेमिक के रूप में जाना जाता है।
इस जगह को,इन प्रजातियों के लिए चुनने का कारण इन प्रजातियों के विकास हेतु अनुकूल पर्यावरण , निम्न प्रदूषण स्तर और आर्द्र जलवायु परिस्थितियां है।
क्रिप्टोगैम (Cryptogams) क्या होते हैं?
पादप जगत को, दो उप-जगतोंमें विभाजित किया गया है –
- क्रिप्टोगैम (Cryptogams)
- फ़ैनरोगैम (phanerogams)
- क्रिप्टोगैम समूह में ‘बीज रहित पौधे’ (seedless plants) और ‘पादपों के समान जीव’ (plant-like organisms) होते हैं, जबकि फ़ैनरोगैम समूह में ‘बीज वाले पौधे’ (seed-bearing plants) होते हैं।
- फ़ैनरोगैम को आगे 2 वर्गों, यथा: जिम्नोस्पर्म (gymnosperms) और एंजियोस्पर्म (angiosperms) में विभाजित किया गया है।
- “क्रिप्टोगेम” शब्द का तात्पर्य ‘अप्रत्यक्ष प्रजनन’ होता है, अर्थात ये पौधे किसी भी प्रजनन संरचना, बीज या फूल का उत्पादन नहीं करते हैं।
- क्रिप्टोगैम पादप, जैसे कि शैवाल, लाइकेन, काई और फर्न, बीजाणुओं की मदद से प्रजनन करते हैं।
स्रोत – द हिंदू