भारत का घटता विदेशी मुद्रा भंडार
भारत का घटता विदेशी मुद्रा भंडार
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है। हालांकि विदेशी मुद्रा भंडार के स्वर्ण आरक्षित घटक में बढ़ोतरी देखने को मिली है, लेकिन विदेशी मुद्रा भण्डार के अन्य घटकों, जैसे- विशेष आहरण अधिकार (SDR), विदेशी परिसंपत्तियों और IMF के पास “रिज़र्व ट्रेंच” आदि में गिरावट दर्ज की गई है।
गिरावट का मुख्य कारण:
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में गिरावट की वजह से मुद्रा भंडार में कमी हुई है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुखभाग होती है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
- विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें।
- यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं। ज्यादातर डॉलर और कुछ सीमा तक यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल होता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिजर्व या एफएक्स रिजर्व भी कहा जाता है।
- पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
- यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है।
- इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति,स्वर्ण के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे:
- मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन हेतु निर्मित नीतियों के प्रति समर्थन और विश्वास बनाए रखना।
- संकट के समय या जब उधार लेने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है, तो संकट के समाधान के लिये विदेशी मुद्रा तरलता को बनाए रखते हुए बाहरी प्रभाव को सीमित करता है।
- अच्छी विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश, विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है।
- इससे वैश्विक निवेशक, देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
- सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय भी ले सकती है, क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है।
- इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार, प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
विदेशी मुद्रा भण्डार में क्या क्या शामिल हैं?
- विदेशी परिसंपत्तियाँ (विदेशी कंपनियों के शेयर, डिबेंचर, बाण्ड इत्यादि विदेशी मुद्रा में)
- स्वर्ण भंडार
- IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच
- विशेष आहरण अधिकार (SDR)
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ वे हैं जिनका मूल्यांकन उस देश की अपनी मुद्रा के बजाय किसी अन्य देश की मुद्रा में किया जाता है।
- FCA,विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है। इसे डॉलर के संदर्भ में व्यक्त किया जाता है।गैर-अमेरिकी मुद्रा जैसे- यूरो, पाउंड और येन की कीमतों में उतार-चढ़ाव को FCAमें शामिल किया जाता है।
स्वर्ण भंडार:
- केंद्रीय बैंकों के विदेशी भंडार में स्वर्ण एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इसे मुख्य तौर पर विविधीकरण के उद्देश्य से आरक्षित किया जाता है।
- उच्च गुणवत्ता और तरलता के साथ स्वर्ण, अन्य पारंपरिक आरक्षित परिसंपत्तियों की तुलना में बेहद अनुकूल होता है, जो केंद्रीय बैंकों को मध्यम और दीर्घकाल में पूंजी संरक्षण, पोर्टफोलियो में विविधता लाने और जोखिमों को कम करने में मदद करता है।
- स्वर्ण ने अन्य वैकल्पिक वित्तीय परिसंपत्तियों की तुलना में लगातार बेहतर औसत रिटर्न दिया है।
IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच
रिज़र्व ट्रेंच वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को प्रदान किया जाता है। यह एक तरह का आपातकालीन कोष होता है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस
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