भारत और यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता
हाल ही में भारत और यूरोपीय संघ ने उत्पत्ति के नियम (RoO) मानदंडों पर मतभेदों कारण मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता को टाल दिया है।
RoO किसी देश में आयातित उत्पाद की उत्पत्ति वाले राष्ट्र का निर्धारण करने के लिए निर्धारित मानदंड हैं ।
इसके तहत जिस देश ने भारत के साथ FTA किया है, वह किसी तीसरे देश की वस्तु को केवल अपना लेबल लगाकर भारतीय बाजार में नहीं उतार सकती है । उसे भारत को निर्यात करने के लिए उस उत्पाद में एक निर्धारित मूल्य वर्धन करना होगा ।
प्रशुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) में माल की उत्पत्ति वाले देश के निर्धारण को शासित करने वाले कोई विशिष्ट नियम नहीं हैं। साथ ही, प्रत्येक अनुबंध करने वाला पक्ष अपने स्वयं के मूल नियमों को निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र है।
RoO का उपयोग किया जाता है:
- एंटी- डंपिंग शुल्क और सुरक्षा उपायों जैसे वाणिज्यिक नीति के उपायों व साधनों को लागू करने के लिए;
- यह निर्धारित करने के लिए कि क्या आयातित उत्पादों को मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) दर्जा या अधिमान्य दर्जा प्राप्त होगा;
- लेबलिंग और विपणन आवश्यकताओं के उपयोग तथा सरकारी खरीद के लिए आदि ।
इससे पहले भारत ने ‘सीमा शुल्क (व्यापार समझौतों के तहत उत्पत्ति के नियमों का प्रशासन) नियम, 2020’ ( CAROTAR) को अधिसूचित किया था । इसका उद्देश्य FTA का दुरुपयोग कर किसी अन्य देश की वस्तुओं को भारत में निर्यात करके की जाने वाली प्रशुल्क चोरी को रोकना है ।
स्रोत – बिजनेस स्टैण्डर्ड