भारत और फ्रांस इंटेलिजेंस (आसूचना) और सूचना साझाकरण एवं क्षमताओं को बढ़ाकर, तथा सैन्य अभ्यास का विस्तार करके एवं समुद्री, अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्रों में नई पहल आरंभ करके परस्पर साझेदारी को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं ।
- फ्रांस ने अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति के एक प्रमुख स्तंभके रूप में भारत के साथ साझेदारी पर बल दिया है। उसने भारत में आत्मनिर्भर भारत और रक्षा औद्योगीकरण के लिए अपने समर्थन को दोहराया है।
- भारत-फ्रांस साझेदारी में यह गतिविधि मुख्य रूप से ऑकस (AUKUS) के गठन से प्रेरित है, जिस पर फ्रांस ने आपत्ति व्यक्त की थी। “ऑकस” वस्तुतः ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका का एक नया सुरक्षा गठबंधन है।
- “ऑकस” का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग को और बढ़ावा देना तथा जरुरत पड़ने पर इस गठबंधन के भीतर रक्षा क्षमताओं को अधिकाधिक साझा करना है।
- ज्ञातव्य है कि इस समझौते के हिस्से के रूप में,ऑस्ट्रेलिया फ्रांसीसी पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण की अपनी योजना का परित्याग कर देगा। इसके स्थान पर वह यूनाइटेड किंगडम संयुक्त राज्य अमेरिका आधारित तकनीकों के आधार पर पोतों को निर्मित करेगा।
भारत के लिए फ्रांस से मजबूत सहयोग का महत्वः
- यह एडवांस सैन्य प्रौद्योगिकियों की त्वरित खरीद के लिए एकल बाजार निर्मित करेगा, क्योंकि भारत का स्वदेशी रक्षा उद्योग अभी उतना विकसित नहीं है।
- उत्तर-पश्चिमी हिंद महासागर में फ्रांस के साथ संयुक्त गश्ती भारत को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगी।
- भारतीय और फ्रांसीसीकंपनियों के बीच संयुक्त आर्थिकसहयोग के भलीभांति स्थापित होने के कारण खाड़ी क्षेत्र में भावी आर्थिक साझेदारी के लिए साझा आधार खोजना भारत के लिए सरल होगा।
- इसके अतिरिक्त दोनों देश इस क्षेत्र में चीनी आर्थिक और सैन्य सहायता के विरुद्ध एक विश्वसनीय विकल्प प्रस्तुत कर सकेंगे।
स्रोत – द हिन्दू