भारत और न्यू यूरेशिया (EURASIA)
हाल ही में जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशो ने कई पहलें शुरू की हैं। इन पहलों से यह संकेत मिलता है कि यूरोपीय और एशियाई देशों के बीच बेहतर संबंधों पर बल दिया जा रहा है।
यूरेशियन (Eurasian) क्षेत्र के बारे में
भौगोलिक रूप से यूरेशियन प्लेट इसका प्रतिनिधित्व करती है। हालांकि, यह यूरोप और एशिया के अधिकतर हिस्सों को कवर करता है, लेकिन इस क्षेत्र में कौन-से भाग शामिल हैं, इससे संबंधित अंतर्राष्ट्रीय समझ पर सहमति का अभाव है।
यूरेशियन क्षेत्र में नई कूटनीतियां
- रूस और चीन ने यूरेशियन गठबंधन की शुरुआत की है। इसके परिणामस्वरूप, यूरोप में पश्चिमी गठबंधन भी मजबूत हुआ है।
- इसने चीन के पूर्व में स्थित एशियाई पड़ोसियों और रूस के पश्चिम में स्थित यूरोपीय पड़ोसियों के बीच एक नए प्रकार के गठबंधन का आधार भी तैयार किया है।
- क्वाड (QUAD) और AUKUS ऐसे ही गठबंधन हैं ।
- ये नई कूटनीतियां भारत के लिए कई चुनौतियां भी पेश कर रही हैं, जैसे- दोनों गुटों (रूस-चीन और पश्चिमी गठबंधन ) के साथ बेहतर संबंधों को बनाए रखना कठिन होता जा रहा है।
- रूस और चीन के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं।
भारत के लिए यूरेशिया का महत्त्व
- यह क्षेत्र कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, कपास, सोना, तांबा, एल्यूमीनियम, लोहे जैसे संसाधनों से समृद्ध है।
- यह रणनीतिक रूप से यूरोप और एशिया के बीच संपर्क बिंदु पर स्थित है।
- चीन के प्रभाव को रोकने के अलावा, यह इस क्षेत्र में बनने वाले प्रतिरोधी गठबंधनों (जैसे तुर्की – पाकिस्तान गठबंधन) से निपटने में भी भारत की मदद करेगा ।
क्वाड (QUAD) समूह
- क्वाड- भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का एक समूह है। क्वाड का विचार पहली बार वर्ष 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने रखा था।
- सभी चारों राष्ट्र लोकतांत्रिक होने के कारण इनकी एक सामान आधारभूमि हैं और निर्बाध समुद्री व्यापार और सुरक्षा के साझा हित का भी समर्थन करते हैं।
- इसका उद्देश्य “मुक्त, स्पष्ट और समृद्ध” इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सुनिश्चित करना तथा उसका समर्थन करना है।
- वर्ष 2017 में भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान ने एक साथ आकर इस “चतुर्भुज” गठबंधन का गठन किया।
- ‘ऑकस’(AUKUS) समूह : ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका ने हाल ही में एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौते की घोषणा की है, जिसे ‘ऑकस’ (AUKUS) का संक्षिप्त नाम दिया गया है। हालाँकि फ्राँस ने इस परमाणु गठबंधन का विरोध किया है।
स्रोत – द हिन्दू