भारत और ग्रीस रणनीतिक साझेदारी के लिए सहमत
हाल ही में चार दशकों में पहली बार किसी भारतीय प्रधान मंत्री ने ग्रीस की राजकीय यात्रा की है।
इस दौरान दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक स्तर तक बढ़ाने और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भारत की पहुंच में वृद्धि करने पर सहमत हुए हैं।
रणनीतिक साझेदारी क्या है?
रणनीतिक साझेदारी राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और ऐतिहासिक कारकों पर आधारित दो देशों के बीच दीर्घकालिक बातचीत है। उदाहरण के लिए, भारत की संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य के साथ रणनीतिक साझेदारी है ।
भारत के भू-राजनीतिक हितों के लिए भूमध्यसागरीय क्षेत्र का महत्त्व:
- ऐसे क्षेत्र के साथ सहभागिता व संपर्क में वृद्धि होगी, जो तीन महाद्वीपों (एशिया, अफ्रीका व यूरोप) में विस्तारित है।
- यह क्षेत्र भारत की हिंद-प्रशांत नीति के लिए भी महत्वपूर्ण है । ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत भूमध्यसागरीय देशों के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़ने हेतु एक महत्वपूर्ण भागीदार हो सकता है।
प्रधान मंत्री की यात्रा के मुख्य बिंदु:
- दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का भी लक्ष्य रखा है। वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 1.94 अरब डॉलर हो गया था ।
- कुशल प्रवासियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए ‘गतिशीलता और प्रवासन साझेदारी समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देने पर सहमति बनी है।
- कृषि क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें कृषि पर हेलेनिक – भारतीय संयुक्त उप-समिति का गठन भी शामिल है। यह उप-समिति परस्पर लाभ के लिए क्षेत्रक सहयोग में मदद करेगी।
- दोनों पक्षों ने कहा कि वे समुद्री सुरक्षा बनाए रखने के मुद्दे पर एकजुट हैं और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून पर अभिसमय ( UNCLOS ) का पालन करते हैं।
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में ग्रीस का स्वागत किया। साथ ही, भारत ने कहा कि वह आपदा-रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (CDRI) में ग्रीस के शामिल होने के प्रति आशान्वित है ।
- दोनों देश प्राचीन स्थलों के संरक्षण और सुरक्षा में संयुक्त प्रयासों को बढ़ावा देने, और यूनेस्को के भीतर सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं
- भारत के प्रधान मंत्री को ग्रीस के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया ।
स्रोत – टाइम्स ऑफ इंडिया