भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते (ECTA) पर हस्ताक्षर
- हाल ही में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौते (ECTA) के लिए ‘उत्पत्ति के नियमों (Rules of Origin: RoO) को अधिसूचित किया है ।
- इसे ‘सीमा शुल्क टैरिफ (भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते के तहत वस्तुओं की उत्पत्ति के निर्धारण) नियम, 2022 ‘ शीर्षक से अधिसूचित किया गया है।
- ये नियम उत्पादों पर अधिमान्य सीमा शुल्क का दावा करने के लिए उत्पाद के उत्पत्ति स्थल के मानदंडों का निर्धारण करते हैं ।
- विदित हो कि भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते (ECTA) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अंतर्गत दोनों देशों के बीच होने वाले द्विपक्षीय व्यापार के 90% को कवर किए जाने की उम्मीद है।
- RoO किसी देश में आयातित उत्पाद के मूल उत्पादन / विनिर्माण स्थल (मुख्यतया देश) को निर्धारित करने संबंधी मानदंड हैं।
- इस नियम से यह निर्धारित हो पाता है कि आयात से पहले उस उत्पाद में साझेदार देश में पर्याप्त वैल्यू एडिशन किया गया है या नहीं, ताकि उस उत्पाद को उस साझेदार देश से उत्पत्ति के रूप में मान्यता दी जा सके। RoO निर्धारित करने से FTA के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलती है।
- प्रशुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) में अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य में उत्पाद की उत्पत्ति वाले देश के निर्धारण को शासित करने वाला कोई विशेष नियम नहीं है।
‘उत्पत्ति के नियमों’ (RoO) का उपयोग निम्नलिखित मामलों में किया जाता है:
- डंपिंग रोधी शुल्क और सुरक्षा उपायों जैसे वाणिज्यिक नीतिगत उपायों को लागू करने के लिए ।
- यह निर्धारित करने के लिए कि क्या आयातित उत्पादों को मोस्ट – फेवर्ड – नेशन (MFN ) व्यवहार या अधिमान्य व्यवहार का लाभ प्राप्त होगा ।
- व्यापार सांख्यिकी, सरकारी खरीद, लेबलिंग लगाने और मार्किंग आवश्यकताओं के लिए ।
- इससे पहले भारत ने ‘सीमा शुल्क (व्यापार समझौतों के तहत उत्पत्ति के नियमों का प्रशासन) नियम, 2020’ ( CAROTAR) को अधिसूचित किया था ।
- इसका उद्देश्य FTA का दुरुपयोग कर किसी अन्य देश की वस्तुओं को भारत में निर्यात करके प्रशुल्क चोरी को रोकना है ।
स्रोत – द हिन्दू