भारत एशिया में गैस की मांग का दूसरा सबसे बड़ा संचालक
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि, भारत एशिया में गैस की मांग का दूसरा सबसे बड़ा संचालक होगा।
वर्ष 2020-2024 के दौरान भारत की वार्षिक गैस खपत में 25 बिलियन क्यूबिक मीटर की वृद्धि होने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- इस मांग के लगभग दो-तिहाई के लिए मुख्य रूप से तरल ईंधन के स्थान पर गैस का उपयोग उत्तरदायी है।
- गैस आधारित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए, सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तकभारत की ऊर्जा बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना है।
गैस आधारित अर्थव्यवस्था का महत्व :
- संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) गैसोलीन की तुलना में लगभग 60% सस्ती है और डीजल की तुलना में 45% सस्ती है।
- पार्टिकुलेट मैटर के अत्यल्प उत्सर्जन के कारण पर्यावरण के अनुकूल है। साथ ही, जलवायु परिवर्तन शमन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भी सहायक है।
सरकार द्वारा किए गए उपाय
- प्राकृतिक गैस विपणन सुधारों के अंतर्गत घरेलू उत्पादन में वृद्धि और गैस केबाजार मूल्य अन्वेषण में एकरूपता लाने की घोषणा की गई है।
- पाइपलाइनों और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD) नेटवर्क सहित वर्ष 2024 तकगैस अवसंरचना निर्माण के लिए 60 अरब डॉलर के निवेश की योजना है।
- प्रधान मंत्री उर्जा गंगा परियोजना और पूर्वोत्तर गैस ग्रिड परियोजना विकसित करके पूर्वी तथा उत्तर-पूर्वी हिस्सों को गैस ग्रिड से जोड़ा जा रहा है।
- देश भर में आगामी पांच वर्षों में 10,000 सीएनजी रिटेल आउटलेट्स (वर्तमान में 2500) स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू