भारत –आसियान विदेश मंत्रियों की विशेष बैठक
हाल ही आसियान देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक का आयोजन किया गया है। इस भारत -आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक (AIFMM) में भारत के विदेश मंत्री ने हिस्सा लिया है।
- दोनों पक्षों ने कोविड महामारी के बाद के समय में आसियान-भारत सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया।
- इनमें स्मार्ट कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, नई और नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल समावेशिता और फिनटेक के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना शामिल हैं।
- दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान/ASEAN भारत सहयोग के क्षेत्र)आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- भारत के कुल व्यापार में आसियान की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत है। आसियान, भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और ‘इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI)’ के केंद्र में है।
- भारत, आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF) का सदस्य है। ARF आसियान के लिए राजनीतिक और सुरक्षा पार आयामों पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रमुख सहयोग परियोजनाएं निम्नलिखित हैं:
मेकांग-गंगा सहयोग, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग, कलादान मल्टीमॉडल परियोजना आदि।
भारत आसियान सदस्यों के साथ अलग–अलग द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास करता है। ये हैं:
- इंडोनेशिया और थाईलैंड के साथ कॉर्पेट,
- इंडोनेशिया के साथ समुद्र शक्ति,
- सिंगापुर के साथ सिम्बेक्स।
चिंता के मुख्य क्षेत्रः
- आर्थिक निवेश में चीन का दबदबा है। परियोजनाओं को पूरा करने में भारत की ओर से देरी होती रही है।
- आसियान 10 देशों का एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से अपने सदस्यों के बीच आर्थिक विकास और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना है।
- आसियान हिंद-प्रशांत के केंद्र में स्थित है, जहां से वैश्विक व्यापार का 50% हिस्सा होकर गुजरता है। इस प्रकार, इस क्षेत्र का सामरिक महत्व बहत अधिक है।
- वर्ष 2022 में आसियान-भारत संबंधों के 30 वर्ष पूरे हुए हैं। इसे ‘आसियान-भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।
स्रोत –द हिन्दू