भारत को आर्थिक प्रोत्साहनों को धीरे–धीरे वापस लेने की जरूरत
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि भारत को आर्थिक प्रोत्साहनों को धीरे-धीरे वापस लेने की जरूरत है।
IMF ने अपनी बाह्य क्षेत्रक रिपोर्ट 2022 जारी की है। इस रिपोर्ट में IMF ने भारत को बाह्य क्षेत्रक में बेहतर संतुलन बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय करने का सुझाव दिया है:
- राजकोषीय और मौद्रिक नीति प्रोत्साहनों को धीरे-धीरे वापस ले लेना चाहिए।
- निर्यात अवसंरचना का विकास करना चाहिए।
- मुक्त व्यापार समझौतों में शामिल होकर वस्तुओं की आवाजाही को बढ़ाया जाना चाहिए।
- निवेश व्यवस्था को और उदार बनाना चाहिए।
- प्रशुल्कों में कमी करनी चाहिए।
किसी देश की अर्थव्यवस्था के बाह्य क्षेत्रक में देश के निवासियों (निजी और सार्वजनिक क्षेत्र) तथा शेष विश्व के बीच सभी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक लेनदेन को शामिल किया जाता है।
IMF ने अनुमान लगाया है कि भारत का चालू खाता घाटा (CAD) वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 108 अरब डॉलर (GDP का 3.7%) हो जाएगा। यह पिछले वित्त वर्ष में 38 अरब डॉलर (CDP का 1.2%) था।
चालू खाता घाटा (CAD) एक देश के व्यापार का लेखा-जोखा है। चालू खाता घाटा की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब किसी देश द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, उसके द्वारा निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के मूल्य से अधिक होता है। यह किसी देश के भुगतान संतुलन (BOP) का हिस्सा है। घाटे की स्थिति का अर्थ है कि एक देश को निर्यात से जितना धन प्राप्त हो रहा है, उससे कहीं अधिक धन आयात की वजह से बाहर जा रहा है।
भुगतान संतुलन एक निर्धारित अवधि (आमतौर पर एक वर्ष) के लिए एक देश के निवासियों का शेष विश्व के साथ वस्तु, सेवाओं और संपत्ति में लेनदेन का रिकॉर्ड है।
स्रोत –द हिन्दू