हाल ही में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका, समकारी शुल्क (Equalization Levy) पर एक संक्रमणकालीन दृष्टिकोण पर सहमत हुए हैं।
- दोनों देशों ने समकारी शुल्क (या डिजिटल टैक्स) से संक्रमण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- ज्ञातव्य है कि अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम मौजूदा एकतरफा उपायों पर एक संक्रमणकालीन दृष्टिकोण पर सहमत हो गए थे।
- समकारी शुल्क को वर्ष 2016 में भारत में बिना किसी स्थायी प्रतिष्ठान वाली विदेशी फर्मों (जैसे अमेज़न, गूगल आदि) पर कर (Tax) लगाने के लिए प्रस्तुत किया गया था।
- बाद में अमेरिका ने ऑस्ट्रिया, भारत, इटली, यूनाइटेड किंगडम आदि द्वारा अपनाए गए ऐसे डिजिटल करों की जांच की थी। अमेरिका ने यह घोषणा की कि ये कर, अमेरिकी डिजिटल कंपनियों के प्रति भेदभाव करते हैं।
- अक्टूबर 2021 में, भारत सहित 136 देशों ने 15% की दर से वैश्विक न्यूनतम कॉरपोरेट कर लागू करने के लिए सहमति व्यक्त की थी। साथ ही, उन बाजारों में बड़ी कंपनियों के लाभों पर कर लगाने की एक समान प्रणाली लागू करने पर भी सहमति व्यक्त की गई थी, जहां इन लाभों को अर्जित किया जाता है।
- समझौते के लिए देशों को सभी डिजिटल सेवा कर और अन्य समान एकपक्षीय उपायों को हटाने की आवश्यकता है।
वैश्विक कर समझौते के प्रस्तावित समाधान में दो घटक शामिल हैं:
- स्तंभ एक, जो बाजार क्षेत्राधिकारिता को लाभ के एक अतिरिक्त हिस्से के पुनः आवंटन से संबंधित है और स्तंभ दो, न्यूनतम कर को शामिल करता है और जो कर नियमों के अधीन है।
- भारत-अमेरिकास मझौते के अनुसार, भारत 31 मार्च, 2024 तक या स्तंभ 1 के लागू होने तक, जो भी पहले हो, समकारी शुल्क लागू करना जारी रखेगा।
स्रोत – द हिन्दू