भारत – अमेरिका संबंध
हाल ही में भारत और अमेरिका ने रक्षा उद्योग के क्षेत्र में सहयोग के रोडमैप पर सहमति व्यक्त की है। नए रोडमैप में निम्नलिखित में प्रौद्योगिकी सहयोग और सह-उत्पादन को गति प्रदान की जाएगी :
हवाई युद्ध और जमीनी आवागमन प्रणालियां
खुफिया सूचना तंत्र, निगरानी और टोही गतिविधियां तथा समुद्र के भीतर कार्रवाइयां ।
मुख्य तथ्य
भारत और अमेरिका ‘आपूर्ति की सुरक्षा’ (SOS) व्यवस्था तथा ‘पारस्परिक रक्षा खरीद (RDP) समझौते के लिए चर्चा शुरू करने पर सहमत हुए हैं।
SoS: यह व्यवस्था किसी भी देश में कंपनियों से अनुबंधों, उप- अनुबंधों या ऑर्डर्स के लिए प्राथमिकता आधारित वितरण का अनुरोध करने की अनुमति देती है ।
RPD इसके तहत भागीदार एक-दूसरे देश से रक्षा उपकरणों के पूरक अधिग्रहण के लिए सहमत होते हैं।
दोनों – पक्ष इंडिया यू.एस. डिफेन्स एक्सीलरेशन इकोसिस्टम (NDUS – X ) नामक प्रस्तावित नई पहल को लॉन्च करने पर सहमत हुए हैं।
यह पहल अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ावा देगी ।
अमेरिका ने क्वाड इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस इनिशिएटिव (IPMDA) में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका का स्वागत किया है।
भारत ने अमेरिका के साथ निम्नलिखित चार मूलभूत रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं-
सैन्य सूचना के आदान-प्रदान पर वर्ष 2002 में जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इन्फॉर्मेशन एग्रीमेंट (GSOMIA)
वर्ष 2016 में एक दूसरे के सैन्य अड्डों का उपयोग करने के लिए लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA)।
दोनों सेनाओं के मध्य अंतरसक्रियता और भारत को उच्च स्तरीय प्रौद्योगिकी के विक्रय के लिए वर्ष 2018 में कम्युनिकेशंस कंपैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA)।
उच्च स्तरीय सैन्य प्रौद्योगिकी, रसद और भू-स्थानिक मानचित्रों को साझा करने के लिए वर्ष 2020 में बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA)।
IPMDA
अमेरिका ने 2022 में IPMDA की घोषणा की थी । यह स्वतंत्र और खुले प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय साझेदारों व सहयोगियों के साथ शुरू की गई एक पहल है।
इसका लक्ष्य रियल-टाइम में अधिक-से-अधिक समुद्री स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करने के लिए क्षेत्रीय भागीदारों और सहयोगियों को अमेरिकी प्रौद्योगिकियों से जोड़ना है।
स्रोत – द हिन्दू