प्रश्न – भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है, और इससे भविष्य में हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्या लाभ होगा? – 19 October 2021
उत्तर – इसरो के अध्यक्ष के सिवन द्वारा हाल ही में की गई एक घोषणा के अनुसार, भारत इस दशक के अंत यानी 2030 तक अंतरिक्ष में अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की सोच रहा है। इसरो पहले से ही वर्ष 2022 में गगनयान मिशन की योजना पर काम कर रहा है। इस मिशन में भारत भी अपने दम पर 3 भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है। इस संदर्भ में भारत को अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन की आवश्यकता है।
वर्तमान में दो अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष में काम कर रहे हैं, जिनमें से एक को अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ और जापान के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) कहा जाता है। दूसरा अंतरिक्ष स्टेशन चीन का है, इसका नाम तियांगोंग-2 है, लेकिन केवल आईएसएस ही पूरी तरह से सक्रिय है।
अंतरिक्ष स्टेशन लो अर्थ ऑर्बिट-एलईओ में स्थापित है। इस कक्षा की सीमा पृथ्वी से 2000 किमी तक है। अंतरिक्ष यात्री स्टेशन पर रहते हैं और जीव विज्ञान, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, मौसम विज्ञान आदि में विभिन्न विषयों से संबंधित प्रयोग करते हैं। आमतौर पर ऐसे प्रयोग पृथ्वी पर संभव नहीं होते हैं क्यों कि उन्हें विशेष वातावरण की आवश्यकता होती है। साथ ही ऐसे स्टेशन अंतरिक्ष के गहन अध्ययन के लिए भी उपयोगी होते हैं।
इसरो की अंतरिक्ष स्टेशन योजना:
- गगनयान मिशन के बाद, इसरो सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगा कि वह अंतरिक्ष स्टेशन कैसे स्थापित करना चाहता है। इसरो वर्तमान में मानता है कि अंतरिक्ष स्टेशन की अवधारणा को तैयार करने में पांच से सात साल लगेंगे।
- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की तुलना में बहुत छोटा होगा और इसका उपयोग फिलहाल माइक्रोग्रैविटी प्रयोग (अंतरिक्ष पर्यटन के लिए नहीं) के लिए किया जाएगा।
- अंतरिक्ष स्टेशन के लिए प्रारंभिक योजना अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में 20 दिनों तक अधिवासन की है, और यह परियोजना गगनयान मिशन का विस्तार होगी।
- इसरो ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स)’ पर काम कर रहा है, जो एक ऐसी तकनीक है जो अंतरिक्ष स्टेशन को क्रियाशील बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। स्पेस डॉकिंग एक ऐसी तकनीक है जो इंसानों को एक अंतरिक्ष यान से दूसरे अंतरिक्ष यान में स्थानांतरित करने की अनुमति देती है।
अंतरिक्ष स्टेशन का महत्व:
- विशेष रूप से जैविक प्रयोगों के लिए सार्थक वैज्ञानिक डेटा एकत्र करने के लिए अंतरिक्ष स्टेशन आवश्यक है।
- अन्य अंतरिक्ष वाहनों की तुलना में अधिक संख्या में वैज्ञानिक अध्ययनों के लिए एक मंच प्रदान करना। (जैसा कि गगनयान मनुष्यों और माइक्रोग्रैविटी के प्रयोगों को कुछ दिनों तक ही वहन कर पाने में सक्षम है )।
- यह खगोल विज्ञान, सामग्री विज्ञान, अंतरिक्ष चिकित्सा और अंतरिक्ष मौसम जैसे विविध क्षेत्रों में विभिन्न माइक्रोग्रैविटी विज्ञान प्रयोगों में मदद करेगा।
- अंतरिक्ष स्टेशनों का उपयोग मानव शरीर पर लंबी अवधि की अंतरिक्ष उड़ान के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए भी किया जाता है।
चुनौतियां:
- भारत में अक्सर ऐसे कार्यक्रमों के लिए धन की कमी होती है, इसलिए अंतरिक्ष स्टेशन बनाना बहुत मुश्किल हो सकता है। ज्ञात हो कि आईएसएस के निर्माण में 160 अरब डॉलर की लागत आई है। हालांकि आईएसएस का वजन प्रस्तावित भारतीय स्टेशन से 20 गुना ज्यादा है, फिर भी भारत को एक बड़े फंड की जरूरत होगी।
- भारत स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल कर स्पेस स्टेशन बनाना चाहता है। ऐसे में यह कार्य भारत के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। भले ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए हों, लेकिन भारत के लिए ऐसी तकनीक का निर्माण करना अभी भी जटिल है। यदि परियोजना अपने निर्धारित समय से आगे बढ़ती है, तो समय के साथ इससे जुड़ी तकनीक में बदलाव करना मुश्किल हो जाता है। यह तकनीकी परिवर्तन न केवल निर्माण स्तर पर, बल्कि स्टेशन को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।
- भारत की योजना 20 टन का स्टेशन बनाने की है। लेकिन भारत की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसका आकार बढ़ाना जरूरी होगा। भारत को भविष्य में इस तरह के बदलावों को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक योजना बनानी होगी।
भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अनुसंधान की शुरुआत के बाद से छोटी अवधि और सीमित संसाधनों में कई रिकॉर्ड हासिल किए हैं। वर्तमान भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो कम लागत में जटिल कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। भारत की यह विरासत भारत को भविष्य में अंतरिक्ष के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनाती है। ऐसे में भारत अपने सीमित संसाधनों का कुशल उपयोग करके और सही तकनीकों का निर्माण करके अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण में आने वाली चुनौतियों से निपट सकता है।