भारतीय श्रमिक सम्मेलन (Indian Labour Conference – ILC)
हाल ही में, भारतीय मजदूर संघ ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारतीय श्रमिक सम्मेलन (Indian Labour Conference – ILC) को आयोजित कराने की अपील की है। विदित हो कि इससे पहले भारतीय श्रमिक सम्मेलन (ILC) वर्ष 2015 में आयोजित किया गया था।
‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ आयोजित करने की आवश्यकता:
- देश में सरकार, नियोक्ता और मजदूर की ‘त्रिपक्षीय’ (Tripartism) परंपरा को बरकरार रखने हेतु ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ का आयोजन आवश्यक होता है।
- क्योंकि भारतीय संसद द्वारा इस ‘त्रिपक्षीय’ प्रणाली से संबंधित ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) के अभिसमय की संख्या 144 को मान्यता दी जा चुकी है, अतः ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ आयोजित करना भारत का एक नैतिक एवं कानूनी दायित्व भी है।
आईएलसी के बारे में:
- भारतीय श्रमिक सम्मेलन (ILC), देश में मजदूर वर्ग से संबंधित सभी मुद्दों पर सरकार को परामर्श देने के लिए ‘श्रम एवं रोजगार मंत्रालय’ में एक उच्च स्तरीय ‘त्रिपक्षीय सलाहकार समिति’ है।
- ‘भारतीय श्रमिक सम्मेलन’ के सदस्यों में से सभी बारह केंद्रीय ट्रेडयूनियन संगठन, नियोक्ताओं के केंद्रीय संगठन, सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश और एजेंडा से संबंधित केंद्रीय मंत्रालय एवं विभाग सम्मिलित होते हैं।
- भारतीय श्रमिक सम्मेलन (तत्कालीन त्रिपक्षीय राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन) की प्रथम बैठक वर्ष 1942 में हुई थी और इसके वर्तमान तक कुल 46 सत्र आयोजित हो चुके हैं।
महत्व:
भारतीय श्रमिक सम्मेलन में श्रमिक-कल्याण में सुधार के उद्देश्य के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा एवं विचार-विमर्श किया जाता है। इस मंच के माध्यम से , न्यूनतम वेतन निर्धारण पद्धति की शुरुआत और रोजगार के लिए स्थायी आदेश सहित बहुत से उल्लेखनीय योगदान किए गए है।
स्रोत – द हिन्दू