भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन
भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन
हाल ही में ,पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति (Expression of Interest) आमंत्रित की है ।
भारतीय वन अधिनियम (Indian Forest Act: IFA). 1927 का अधिदेश वनों या महत्वपूर्ण वन्यजीवों वाले क्षेत्रों को समेकित और संरक्षित करना, वन उत्पादों के संचलन और पारगमन को विनियमित करना तथा काष्ठ एवं अन्य वनोपज पर शुल्क आरोपित करना है।
संशोधन की आवश्यकता
- आरक्षित वनों, संरक्षित वनों और अवर्गीकृत वनों की मौजूदा श्रेणियों की समीक्षा करना। ज्ञातव्य है कि ये सभी मुख्य रूप से राजस्व सृजन के औपनिवेशिक हितों की पूर्ती के लिए वर्गीकृत किए गए थे
- IFA में जीवों, जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन पर ध्यान देने का अभाव है।
- स्थानीय ज्ञान और अभिशासन प्रणाली के माध्यम से स्थानीय समुदायों द्वारा संरक्षित सामुदायिक संरक्षित क्षेत्रों को मान्यता का अभाव है।
- संशोधन विभिन्न मंत्रालयों/संगठनों द्वारा लागू कानूनों की समीक्षा करने की केंद्र सरकार की पहल के अनुरूप हैं, ताकि उन्हें समकालीन आवश्यकताओं के साथ समकालिक बनाया जा सके।
संशोधन का उद्देश्य
- श्रेणीबद्ध दंड का प्रावधान करना।
- राज्यों या राष्ट्रीय सीमाओं के पार वन उत्पादों के व्यापार एवं पारगमन में आने वाली कठिनाइयों का निवारण करना।
- गैर-सरकारी अभिकर्ताओं/निजी क्षेत्र/नागरिक समाज/व्यक्तियों को वनरोपण/वृक्षारोपण करने और/या गैर वन भूमि पर निजी वन का विकास/प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- व्यावहारिक कानूनी प्रावधानों को शामिल करना जो राज्य वन कानूनों में पहले ही शामिल किए जा चुके हैं।
स्रोत – द हिन्दू
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