CAG द्वारा ‘भारतीय रेल दुर्घटना रिपोर्ट‘ जारी
हाल ही में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा ‘भारतीय रेलवे में ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाएं’ (Derailment in Indian Railways) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई है।
इस रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2018 और 2021 के मध्य 69% रेल दुर्घटनाएं रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने के कारण हुई थी ।
इस रिपोर्ट में निम्नलिखित अन्य तथ्यों को भी रेखांकित किया गया है:
- रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक पटरियों के रख-रखाव में कमी है। इसके बाद पटरियों के लिए निर्धारित मापदंडों में अनुमत सीमा से अधिक विचलन उत्तरदायी है।
- पटरियों के नवीनीकरण के लिए निर्धारित लक्ष्य जमीनी स्तर पर वास्तविक आवश्यकता के अनुरूप नहीं थे।
- ओडिशा ट्रेन दुर्घटना के बाद रेलवे सुरक्षा का मुद्दा और इसके समाधान में प्रौद्योगिकी की भूमिका चर्चा का विषय बन गया है।
- ऐसा माना जाता है कि ओडिशा ट्रेन दुर्घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (EI) प्रणाली में बदलाव के कारण हुई थी।
- EI प्रणाली, प्रोसेसर आधारित एक प्रणाली है । यह रेलवे सिग्नलिंग का एक अभिन्न अंग है। इसके माध्यम से यार्ड में रेल परिवहन को नियंत्रित किया जाता है, ताकि नियंत्रित क्षेत्र में रेलगाड़ियों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित हो सके ।
भारतीय रेलवे द्वारा रेल परिवहन सुरक्षा में सुधार के लिए उठाए गए कदम:
- राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (RRSK) नामक रेलवे सुरक्षा कोष का गठन किया गया है।
- नागर विमानन मंत्रालय के तहत रेलवे संरक्षा आयोग का गठन किया गया है। यह रेल परिचालन की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर कार्य करता है ।
- रेलगाड़ियों में लिंक हॉफमैन बुश (LHB) प्रकार के कोच (डिब्बे ) लगाए जा रहे हैं, क्योंकि इंटेग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) के कोचों के पटरी से उतरने का खतरा अधिक होता था ।
- चलती रेलगाड़ियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए “कवच’ नामक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली लगाई जा रही है।
कवच के बारे में
इसे रेल मंत्रालय के अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन (RDSO) ने विकसित किया है।
प्रमुख विशेषताएं:
- यह लोको पायलट को खतरे और ओवर स्पीड की स्थिति में सिग्नल की अनदेखी करने से बचाने में मदद करता है।
- यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है, तब कवच स्वचालित ब्रेक लगाकर रेलगाड़ी की गति को नियंत्रित करता है ।
- यह खराब मौसम, जैसे- घने कोहरे की स्थिति में भी रेलगाड़ियों का परिचालन जारी रखता है ।
- यह लोको पायलट के मध्य सीधे संचार के माध्यम से रेलगाड़ियों की टक्कर को रोकता है।
- यह किसी भी दुर्घटना की स्थिति में SOS (आपात संदेश) की सुविधा प्रदान करता है।
स्रोत – द हिन्दू