भारतीय रेलवे (IR) के वित्त पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट
CAG रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षः
प्राप्तियों में गिरावटः कुल प्राप्तियों में वर्ष 2018-19 में 6.47% की वृद्धि की तुलना में वर्ष 2019-20 में 8.30% की कमी आई है।
क्रॉस-सब्सिडीः माल ढुलाई से होने वाले लाभांश का उपयोग नुकसान (यात्री और अन्य कोच आधारित सेवाओं के संचालन पर) की भरपाई के लिए किया गया था ।
परिचालन अनुपातः यह अनुपात वर्ष 2018-19 में 97.29% से गिरकर वर्ष 2019-20 में 98.36% हो गया था।
परिचालन अनुपात यातायात से अर्जित राजस्व के लिए परिचालन व्यय (रेलवे के दिन-प्रतिदिन के संचालन में होने वालाव्यय) का अनुपात है।
इसका उच्च अनुपात अधिशेष सृजित करने की निम्नस्तरीय क्षमता को इंगित करता है। इस अधिशेष का उपयोग पूंजी निवेश के लिए किया जा सकता है।
प्रमुख सिफारिशें:
- आय बढ़ाने के लिए फ्रेट (भाड़ा) बास्केट में विविधता लाना और अतिरिक्त आय सृजित करने के लिए निक्रिय परिसंपत्तियों का दोहन करना।
- आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय किए जाने चाहिए, ताकि सकल बजटीय सहायता (GBS) और अतिरिक्त बजटीय संसाधन (EBR) पर निर्भरता कम की जा सके।
- घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कामकाज की समीक्षा करनी चाहिए। साथ ही, रेलवे के गैर-कार्यशील सार्वजनिक उपक्रमों की समापन प्रक्रिया को तीव्रकिया जाना चाहिए।
- यात्री और अन्य कोच आधारित शुल्कों की समीक्षा करना, ताकि चरणबद्ध तरीके से संचालन की लागत प्राप्त की जा सके और इसकी मुख्य गतिविधियों में होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
भारतीय रेलवे के वित्तपोषण के स्रोतः
- इसके अपने आंतरिक संसाधन (माल और यात्री राजस्व, रेलवे भूमि को पट्टे पर देना आदि) केंद्र सरकार से सकल बजटीय सहायता।
- अतिरिक्त बजटीय संसाधनः मुख्य रूप से ऋण, लेकिन इसमें संस्थागत वित्तपोषण, सार्वजनिक निजी भागीदारी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी शामिल हैं।
स्रोत – द हिन्दू