प्रश्न – भारतीय राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में मौलाना अबुल कलाम आजाद के योगदान की चर्चा कीजिये।

प्रश्न – भारतीय राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में मौलाना अबुल कलाम आजाद के योगदान की चर्चा कीजिये। – 29 July 2021

उत्तर –

मौलाना अबुल कलामभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे। मुस्लिम होने के बावजूद, उन्होंने मुहम्मद अली जिन्ना जैसे मुस्लिम नेताओं की कट्टरपंथी नीतियों का विरोध किया।

भारतीय राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में मौलाना अबुल कलाम आजाद का योगदान:

  • महात्मा गांधी और असहयोग आन्दोलन को समर्थन देने के लिएजनवरी, 1920 मेंमौलाना अबुल कलाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने सितंबर, 1923 में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन की अध्यक्षता की। इसी के साथ ही वह कांग्रेस अधिवेशन के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने।
  • 1928 में, मौलाना आजाद ने मोतीलाल नेहरू दवारा तैयार नेहरू रिपोर्ट का समर्थन किया।
  • 1930 में, मौलाना आजाद को नमक सत्याग्रह में नमक कानूनों का उल्लंघन करने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया तथा 18 माह तक उन्हें मेरठ जेल में रखा गया था।
  • अगस्त, 1942 को मौलाना आज़ाद को कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार किया गया। चार साल की सजा दी गई। उन्हें 1946 में रिहा कर दिया गया। उस समय, एक स्वतंत्र भारत विचार दृढ़ हो गया था और मौलाना आजाद ने कांग्रेस के भीतर संविधान सभा चुनावों का नेतृत्व किया और स्वतंत्रता की शर्तों पर चर्चा करने के लिए ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के साथ वार्ता की।
  • उन्होंने धर्म के आधार पर विभाजन के विचार का जोरदार विरोध किया और जब पाकिस्तान बनाने के विचार रखे गए, तो उन्हें गहरा दुख हुआ।
  • स्वतंत्रता के बाद की गतिविधियां भारत के विभाजन के दौरान हुई हिंसा में, मौलाना आजाद ने भारतीय मुसलमानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने का आश्वासन दिया। इसके लिए, आज़ाद ने बंगाल, असम, पंजाब की सीमाओं के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।
  • उन्होंने शरणार्थी शिविर स्थापित करने में मदद की और खाद्य और अन्य बुनियादी सामग्रियों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की।

निष्कर्ष:

स्वतंत्रता आंदोलन में  ब्रिटिश सरकार के खिलाफ छेड़े गए आंदोलन का हिस्सा बने और अल-हिलाल जैसी पत्रिकाएं निकाल कर अंग्रेजी सरकार की आलोचना की। उन्होंने हिन्दू मुस्लिम एकता का समर्थन किया। प्रतिभाशाली मौलाना अबुल कलाम आजाद पंडित जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में 1947 से 1958 तक शिक्षा मंत्री रहे थे। शिक्षा मंत्री रहने के दौरान उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र कई उल्लेखनीय कार्य किए थे। उनके योग दानों को देखते हुए 1992 में उनको भारतरत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।उनके उल्लेखनीय कार्यों को देखते हुए उनका जन्म दिवस राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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