भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता (NSDCI)
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा है कि, वह भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता (NSDCI) का पालन नहीं करने वाले खेल निकायों का वित्तपोषण बंद करे।
इस आदेश ने केंद्र को उन राष्ट्रीय खेल संघों (NSFs) को अनुदान, निधि और संरक्षण देने से रोक दिया है, जो NSDCI, 2011 का अनुपालन नहीं कर रहे हैं।
वर्ष 2014 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने NSDCI को खेल निकायों के लिए देश का कानून (लॉ ऑफ द लैंड) घोषित किया था। NSDCI, राष्ट्रीय खेल संघों के लिए वर्ष 1975 से भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों का एक सेट है।
NSDC खेलों के प्रचार और विकास में शामिल अलग-अलग एजेंसियों की जिम्मेदारी के क्षेत्रों को परिभाषित करता है।
यह संहिता के तहत कवरेज के लिए पात्र NSFs की पहचान करता है। साथ ही, उनकी प्राथमिकताएं निर्धारित करता है। यह फेडरेशन द्वारा अनुपालन की जाने वाली प्रक्रियाओं का विवरण देता है।
यह सरकारी मान्यता और अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्रता की शर्तों को वर्णित करता है।
NSFs अनुशासन के समग्र प्रबंधन, निर्देशन, नियंत्रण, विनियमन, पदोन्नति, विकास और स्पॉन्सरशिप के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार तथा जवाबदेह हैं। इन्हीं आधारों पर इन्हें संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संघ द्वारा मान्यता प्रदान की जाती है।
NSDC अनुपालन के लाभः
- NSFs में निष्पक्षता सुनिश्चित होती है और वैधानिकता आती है;
- खेल क्षेत्र के कुप्रबंधन के मुद्दों को हल करने में मदद मिलती है;
- खेलों में बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं आदि।
NSFs की प्रमुख चिंताएं
- गुणवत्तापूर्ण खेल अवसंरचना का अभाव है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है।
- योग्यता की कमी है, क्योंकि फेडरेशन के प्रमुख राजनेता होते हैं।
- धन की कमी का सामना करना पड़ता है।
- अक्सर संघों के सदस्यों के बीच हितों का टकराव देखा जाता है।
स्रोत –द हिन्दू