भारतीय मानसून के आने में देरी

भारतीय मानसून के आने में देरी

हाल ही में, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) ने अपने एक अनुमान के अनुसार कहा है कि इस वर्ष केरल में मानसून (Kerala Monsoon) 3 जून तक पहुंचा, जबकि कुछ समय पहले आईएमडी ने इस मानसून के केरल में पहुँचने की तिथि 31 मई अनुमानित की थी।

आईएमडी ने मानसून में होने वाली इस तरह की देरी का प्रमुख कारण पश्चिमी विक्षोभ को माना है।

प्रमुख बिन्दु

  • ‘स्काईमेट’ नाम की एक निजी मौसम अनुमान एजेंसी के अनुसार मानसून सामान्य गति से आगे बढ़ रहा है। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में यह अपनी निश्चित तारीख 21 मई को पहुंचा और इसके बाद यह लगातार उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बड़ा।
  • मानसून के दक्षिण प्रायद्वीप और पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी के अधिकाँश हिस्सों में आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। इसके साथ ही मानसून की उत्तरपूर्वी भारत में समय पर प्रगति की उम्मीद है।
  • आईएमडी के अनुसार, इस वर्ष मानसून सामान्य रहेगा। इस साल मॉनसून के दौरान करीब 86.2 सेंटीमीटर वर्षा होने की उम्मीद है।

मानसून का भारत में प्रवेश

  • प्रायः दक्षिण-पश्चिमी मानसून केरल तट पर एक जून को पहुंचता है और शीघ्र ही दस और तेरह जून के बीच यह आर्द्र पवनें मुंबई व कोलकाता तक पहुँच जाती हैं। जुलाई के मध्य तक सम्पूर्ण उपमहाद्वीप दक्षिण-पश्चिम मानसून के प्रभावाधीन हो जाता है।

मानसून

  • मानसून शब्द मूल रूप से अरबी भाषा के ‘मौसिम’ से बना है जिसका अर्थ ‘ऋतु’ होता है। भारत में सामान्य रूप से इसका हिन्दी उच्चारण ‘मौसम’ होता है, लेकिन गहन वर्षा के समय यही यह ‘मानसून’ हो जाता है।
  • भारत एक गर्म जलवायु वाला देश है, यहाँ वर्ष के 12 महीनों में से 8 से 9 महीने सामान्य अथवा भीषण गर्मी होती है और बाकी 3 से 4 महीने शीत ऋतु के होते हैं। भारत में गहन वर्षा काल का प्रारंभ भीषण गर्मी वाले जून महीने से होता है और यह गर्मी के सामान्य होने तक सितम्बर अथवा कभी-कभी अक्तूबर तक चलती रहती है।

मानसून का भारत में प्रभाव

  • भारत में मानसून का समय कृषि के खरीफ सत्र का होता है, जिन क्षेत्रों की भूमि को पर्याप्त मात्रा में वर्षा का जल प्राप्त हो जाता है वहां फसल उत्पादन की संभावनाएं अच्छी होती हैं। लेकिन जहां वर्षा जल की कमी रह जाती है, वहां फसल की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
  • मानसून की वर्षा प्राप्त ना होने पर कुछ क्षेत्र सूखाग्रस्त हो जाते हैं और वहां का जन-जीवन नष्ट होने लगता है, जबकि मानसून की अधिकता कुछ क्षेत्रों में बाढ़ की तबाही ले आती है। विगत कुछ वर्षों में हम लोगों ने भारत में ऐसी कई घटनाएं देखी हैं।
  • भारत की आधे से अधिक कृषि भूमि वर्षा सिचिंत जल पर निर्भर है, इसलिए मानसूनी वर्षा भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी है। सिंचाई के प्राकृतिक जल संसाधन नदियाँ, झीलें, तालाब, कुएं आदि इसी मानसूनी वर्षा से जल प्राप्त करते हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी)

  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) भारत में मौसम पुर्वानुमान की शीर्ष संस्था है। यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
  • इसकी स्थापना 1875 में हुई थी। आईएमडी का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है एवं इसके छह प्रमुख क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र चेन्नई, गुवाहाटी, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली में स्थित है।

स्रोत – द हिन्दू

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