भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)
हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1947 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के 486 पुरावशेषों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
पुरावशेषों (Antiquities) को पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 (AATA) के तहत परिभाषित किया गया है।
पुरावशेष के अंतर्गत निम्नलिखित वस्तुओं को शामिल किया जाता है-
- सिक्के, मूर्तिकला, चित्रकला, पुरालेख और कला या शिल्प कौशल से जुड़ी कोई अन्य कृति; तथा
- किसी भवन या गुफा से अलग किया गया कोई भाग (Article), वस्तु (Object) या चीज (Thing).
- वर्ष 2007 में राष्ट्रीय स्मारक और पुरावशेष मिशन (NMMA) शुरू किया गया था। इसे AATA के अंतर्गत परिभाषित पुरावशेषों का एक डेटाबेस तैयार करने का कार्य सौंपा गया है ।
- NMMA ने अब तक 3.52 लाख पुरावशेष पंजीकृत किए हैं।
- सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करने तथा रोकने के साधनों पर यूनेस्को कन्वेंशन, 1970 की भारत द्वारा अभिपुष्टि की गई है।
- सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी के निषेध और रोकथाम संबंधी उपाय करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है ।
- भारत में, AATA बिना लाइसेंस के ऐसे पुरावशेषों के निर्यात को फौजदारी अपराध के अंतर्गत रखता है। ऐसे पुरावशेषों के निर्यात के लिए ASI लाइसेंस प्रदान करता है ।
- बिना जानकारी वाले पुरावशेषों की श्रेणियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- ऐसे पुरावशेष जिन्हें स्वतंत्रता से पूर्व भारत से बाहर ले जाया गया था;
- ऐसे पुरावशेष जिन्हें स्वतंत्रता के बाद और AATA (1976) के लागू होने से पहले देश के बाहर ले जाया गया था; तथा
- ऐसे पुरावशेष जिन्हें अप्रैल 1976 के बाद देश से बाहर ले जाया गया था।
- पुरावशेषों को पुनः प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए स्वामित्व का प्रमाण प्रस्तुत कर द्विपक्षीय स्तर पर या अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उन्हें वापस लाने का अनुरोध किया जा सकता है। इसमें उपर्युक्त यूनेस्को कन्वेंशन की भी मदद ली जा सकती है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस