भारतीय जैव अर्थव्यवस्था रिपोर्ट (IBER) 2022 जारी
हाल ही में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) ने भारतीय जैव अर्थव्यवस्था रिपोर्ट (IBER) 2022 जारी की है।
- जैव-अर्थव्यवस्था (Bio-economy) को “एक ऐसी अर्थव्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है, जहां पदार्थ, रसायन और ऊर्जा के लिए बुनियादी निर्माण खंड नवीकरणीय जैविक संसाधनों से प्राप्त होते हैं।”
- टीके, चिकित्सा, निदान, बीटी कपास, जैव कीटनाशक, जैव ईंधन, एंजाइम आदि जैव-अर्थव्यवस्था के कुछ घटक हैं।
- जैव प्रौद्योगिकी के मामले में भारत दक्षिण एशिया में शीर्ष तीन और विश्व में शीर्ष 12 देशों में सेएक है। वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में भारत की लगभग 3% हिस्सेदारी है।
- जैव प्रौद्योगिकीउद्योग जैव-अर्थव्यवस्था को प्रौद्योगिकी प्रदान करता है।
- जैव प्रौद्योगिकी को भारत के लिए सनशाइन क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई है। इसका भारतीयअर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष–
- वर्तमान स्थितिः भारत की जैव-अर्थव्यवस्था वर्ष 2021 में 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई थी। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 8% है। वर्ष 2030 तक जैव-अर्थव्यवस्था के 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान है।
- भारत टीके और चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर प्रगति कर सकता है।
- वर्ष 2025 तक जैव-अर्थव्यवस्था में जैव-कृषि (बीटी कपास, जैवकीटनाशक आदि) का योगदान वर्तमान के 5 बिलियन डॉलर से दोगुना होकर 20 बिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है।
- जैव प्रौद्योगिकी उद्योग का अनुसंधान एवं विकास व्यय 1 बिलियन डॉलर को पार कर गया है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने BIRAC की स्थापना एक इंटरफेस एजेंसी के रूप में की थी। इसका उद्देश्य उभरते जैव प्रौद्योगिकी उद्योग को रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार करने के लिए मजबूत एवं सशक्त बनाना है।
जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित पहलें:
मिशन कोविड सुरक्षा– यह भारत का कोविड-19 टीका विकास मिशन है।
- राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति (2021-2025)।
- इस रणनीति में “ज्ञान और नवोन्मेष संचालित जैव-अर्थव्यवस्था” में योगदान करते हुए जैव प्रौद्योगिकी का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- जैव प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना की जा रही है।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए बायोटेक इग्निशनग्रांटकॉल (BIG-NER) शुरू किया गया है।
स्रोत –द हिन्दू