भारतीय खगोलविदों ने की एक और गर्म तारे की खोज
भारतीय खगोलविदों ने की एक और गर्म तारे की खोज
- सुपरनोवा विस्फोट के आधार पर भारतीय खगोलविदों ने हाल ही में से सबसे गर्म तारों में से एक और तारे का पता लगाया है।
- भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आने वाले आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीस) के खगोलविदों की एक टीम ने अन्तर्राष्ट्रीय सहयोगियों के साथ 2015 में एनएसजी 7371 आकाशगंगा की खोज की थीऔर तभी से इस एनएसजी 7371 आकाशगंगा के खाली-आवृत्त वाले सुपरनोवा एसएन 2015 डीजे की ऑप्टिकल मॉनिटरिंग की।
- इस दुर्लभ सुपरनोवा विस्फोट की निगरानी के पश्चात ही एक वुल्फ-रेएट तारे या डब्ल्यूआर तारे के बारे में पता लगा है।
- खगोलविदों की इस उपलब्धि को हाल ही में ‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है।
- वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि मूल तारा (original star) दो सितारों का सम्मलित रूप था- जिनमें से एक विशाल डब्ल्यूआर तारा था और दूसरा तारा द्रव्यमान में सूर्य से कम था।
वुल्फ-रेएट तारे या डब्ल्यूआर तारे
- यह तारा सबसे गर्म तारों में से एक है। यह आकार में बहुत बड़े तारे हैं और उनका बाहरी सतह का हाइड्रोजन वाला हिस्सा खाली है जो भीतर के बड़े कोर में हीलियम के संलयन और अन्य तत्वों के साथ जुड़ा हुआ है।
- खगोलविद लंबे समय तक इस संशय में रहे कि दुर्लभ वुल्फ-रेएट तारे सूर्य से लगभग एक हजार गुना अधिक प्रकाशमान कैसे होते हैं ।
- इस प्रकार के बड़े प्रकाशमान सुपरनोवा विस्फोट की निगरानी से वैज्ञानिकों को इन दुर्लभ वुल्फ-रेएट तारों के बारे में और अधिक जानकारी मिलेगी जो कि अब तक उनके लिए पहेली बने हुए थे।
सुपरनोवा विस्फोट
- सुपरनोवा (एसएनई) ब्रह्मांड में होने वाले अत्यधिक ऊर्जावान विस्फोट होते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
- यह विशालकाय तारों की गणना में भी मदद करते हैं, साथ ही इन विस्फोटों की दीर्घकालीन निगरानी एवं विस्फोट वाले तारे की प्रकृति और तत्वों को समझने में भी सुपरनोवा मदद करते हैं।
- आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीस) एक स्वायत्त संस्थान है जो नैनीताल में स्थित है।
स्रोत – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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