भारतीय उपग्रह नौवहन नीति सैटनैव नीति 2021
हाल ही में, भारत के उपग्रह-आधारित नौवहन नीति सैटनैव नीति और आवर्धन सेवा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अंतरिक्ष विभाग (DOS) द्वारा एक व्यापक सैटनैव (SATNAV) नीति-2021 प्रस्तावित की गई है।
उपग्रह आधारित नौवहन, वैश्विक या क्षेत्रीय कवरेज की क्षमता से युक्त नौवहन उपग्रहों का एक समूह है। साथ ही, इसके सहायक बुनियादी ढांचे को सभी मौसम में कार्यशील, अप्रतिरोधी, त्रि-आयामी अवस्थिति, वेग और सामयिक डेटा प्रदान करने के लिए अभिकल्पित किया गया है।
नीति के मुख्य उद्देश्य
- सैटनैव नीति-2021 का मुख्य उद्देश्य असैन्य उपयोगों के लिए फ्री-टू-एयर नौवहन संकेत तथा सामरिक उपयोगों के लिए सुरक्षित नौवहन संकेत की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- भारतीय उपग्रह नौवहन व आवर्धन संकेतों की अन्य वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली और उपग्रह आधारित आवर्धन प्रणाली (Satellite based Augmentation Systems: SBAS) संकेतों के साथ संगतता तथा अन्तर-संक्रियता की दिशा में कार्य करना।
- अवस्थिति, वेग और समय (Position Velocity and Time: PVT) आधारित सेवाएं प्रदान करना ।
- सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियानके हिस्से के रूप में अंतरिक्ष आधारित नौवहन सेवाओं (Space based navigation services: SBNS) और SBAS को जारी रखना एवं अद्यतित करना।
- भारतीय सामरिक समुदाय के लिए भारतीय नौवहन प्रणाली नाविक (नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलशनः NaviC) के माध्यम से सुरक्षित SBNS प्रदान किया जाता है।
- नाविक या भारतीय प्रादेशिक नौवहन उपग्रह प्रणाली (Indian Regional Navigation Satellite System: IRNSS) इसरो द्वारा विकसित एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली है ।
- भारतीय हवाई क्षेत्र के लिए जीपीएस समर्थित भू-संवर्धित नौवहन (गगन) (GPS Aided Geo Augmented Navigation: GAGAN) के माध्यम से SBAS सेवाएं प्रदान करना।
- नौवहन सेवाएं और अवस्थिति परिशुद्धता (position accuracy) प्रदान करने के लिए गगनको इसरो एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया
स्रोत –द हिन्दू