‘भारतमाला परियोजना’(BMP) में 6 वर्ष की देरी होने का अनुमान
- हाल ही में ‘सेबी’ की रेटिंग एजेंसी ICRA के द्वारा ‘भारतमाला परियोजना’(BMP) में 6 वर्ष की देरी होने का अनुमान लगाया है।
- विदित हो कि भारतमाला परियोजना के तहत सरकार एक महत्वाकांक्षी सड़क संपर्क परियोजना पर कार्य कर रही है।
- रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार, यह परियोजना वित्त वर्ष 2028 में पूरी हो सकती है।
- इन्वेस्टमेंट इंफॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया (ICRA) भारत की सेबी द्वारा रजिस्टर्ड और अधिकृत क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है। इसको 1991 में स्थापित किया गया था।
- शुरुआत में, इसे वित्त वर्ष 2022 तक पूरा किये जाने का लक्ष्य रखा गया था।
परियोजना में विलंब के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- भूमि अधिग्रहण में देरी,
- भूमि अधिग्रहण की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि,
- कोविड-19 महामारी आदि।
- वित्त पोषण एक बड़ी समस्या है। इसकी लागत वर्ष 2015 से लगभग दोगुनी हो गई है।
भारतमाला परियोजना की घोषणा वर्ष 2015 में की गई थी। इसे सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत आरंभ किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य देश भर में वस्तुओं और लोगों की आवाजाही की दक्षता में सुधार करना है। चरण-1 के तहत, वित्त वर्ष 2022 तक 34,800 किलोमीटर के राजमार्ग के विकास का लक्ष्य रखा गया था। चरण-2 में वर्ष 2024 तक पूरे भारत में लगभग 48,000 किलोमीटर सड़क नेटवर्क के विकास का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
भारतमाला परियोजना की आवश्यकता
- यह मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों के विकास और चोक पॉइंट को समाप्त करके मौजूदा कॉरिडोर की दक्षता में सुधार करेगी।
- इसके अंतर्गत पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी में सुधार लाने पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, अंतर्देशीय जलमार्गों का भी लाभ उठाया जाएगा। दुर्घटनाओं की स्थिति में तीव्रता से कदम उठाने के लिए अवसंरचना का अभाव है। यह परियोजना इस कमी को पूरा करेगी।
- इससे परियोजना की तैयारी और परिसंपत्ति की निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा वैज्ञानिक रूप से योजना निर्माण को बल मिलेगा।
भारतमाला की 6 मुख्य विशेषताएं निम्न हैं–
- आर्थिक गलियारों को जोड़ना
- ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेस वे
- आंतरिक गलियारे और फीडर मार्ग
- तटों और बंदरगाहों को जोड़ने वाली सड़कें
- राष्ट्रीय गलियारा दक्षता सुधार
- सीमा और अंतर्राष्ट्रीय मार्गों को जोड़ने वाली सड़कें
स्रोत –द हिन्दू