‘ब्लैक होल’ के संकुचन में कमी

ब्लैक होल के संकुचन में कमी

हाल ही में हुए नवीन अध्ययन से सिद्ध हुआ हैं कि ‘ब्लैक होल’ समय के साथ संकुचित नहीं हो रहे हैं । इस अध्ययन ने भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग द्वारा प्रतिपादित ब्लैक होल क्षेत्र प्रमेय (black hole area theorem) को सही सिद्ध किया है। इस प्रमेय में यह प्रमाणित किया गया था कि ब्लैक होल के सतही क्षेत्र का समय के साथ कम होना असंभव है।

ब्लैक होल क्षेत्र प्रमेय वर्ष 1971 में आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत से व्युत्पन्न हुआ था। यह सिद्धांत गुरुत्वाकर्षण तरंगों और ब्लैक होल को परिभाषित करता है।

  • आइंस्टीन का वर्ष 1915 का सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत मानता है कि गुरुत्वाकर्षण बल स्पेस एंड टाइम की वक्रतासे उत्पन्न होता है।
  • ब्लैक होल क्षेत्र प्रमेय ने विशेष सापेक्षता के सिद्धांत का विस्तार किया है, जिसने तर्क दिया था कि स्पेस एंड टाइम काअटूट संबंध है, परन्तु इस सिद्धांत ने गुरुत्वाकर्षण के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया।
  • ब्लैक होल अंतरिक्ष में एक ऐसा स्थान है, जहां गुरुत्वाकर्षण के कारण खिंचाव इतना अधिक है कि प्रकाश भी बाहर नहीं निकलपाता है। यहां गुरुत्वाकर्षण इतना प्रभावशाली इसलिए है, क्योंकि पदार्थ एक छोटे से स्थान में संकुचित हो जाता है। यह किसीतारे के समाप्त होने के चरण के दौरान घटित हो सकता है।

ब्लैक होल के प्रकार:

  1. तारकीय/स्टलर
  • किसी तारे के गुरुत्वीय रूप से संकुचित होने के कारण निर्मित होता है। इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के 5 गुना से कई गुना तक होता है।
  1. इंटरमीडिएट मास
  • इनका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के 102-105 गुना तक होता है। इनका द्रव्यमान स्टेलर ब्लैक होल से स्पष्टतः अधिक किन्तु सुपर-मैसिव ब्लैक होल से कम होता है।
  1. सुपरमैसिव
  • यह सबसे विशालकाय ब्लैक होल हैं। ये स्वयं ‘ में सूर्य के द्रव्यमान का सैंकड़ों, हजारों, यहाँ तक की अरबों गुना तक द्रव्यमान समाहित करते हैं।
  1. मिनिएचर
  • 148 फेम्टोमीटर के आकार के ब्लैक होल जिनके लिए क्वांटम मैकेनिकल बल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्टेलर ब्लैक होल से छोटे ब्लैक होल की उपस्थिति की अवधारणा प्रसिद्ध खगोल भौतिक विज्ञानी स्टीफन हाकिंग द्वारा प्रस्तुत की गयी थी।
  • ब्लैक होल बनने का सबसे सामान्य तरीका तारकीय मृत्यु (stellar death) है। तारकीय ब्लैक होल तब निर्मित होते हैं, जब किसी बहुत बड़े तारे के केंद्र का स्वतः पतन हो जाता है, या उसका विनाश हो जाता है। जब ऐसा होता है, तो यह एक सुपरनोवा का कारण बनता है।

स्रोत – द हिन्दू

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