एक अध्ययन के अनुसार ब्लैक कार्बन के कारण अकाल मृत्यु
एक अध्ययन के अनुसार ब्लैक कार्बन के कारण अकाल मृत्यु
हाल ही में, शोधकर्ताओं द्वारा ‘ब्लैक कार्बन’ (Black Carbon)के मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वालेप्रभावों के बारे में एक अध्ययन किया है ।
प्रमुख निष्कर्ष:
- अध्ययन में एक निष्कर्ष सामने आये है जिसके अनुसार,ब्लैक कार्बन का मानव स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इसकी वजह से अकाल मृत्यु हो सकती है।
- भारत में इंडो-गंगा का मैदान, (Black Carbon- BC) से सघन रूप से प्रभावित है, जिसका क्षेत्रीय जलवायु और मानव स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
- इससे वायु प्रदूषकों के स्तर में वृद्धि के साथ मृत्यु दर में रैखिक रूप से वृद्धि होती है, और उच्च स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव दिखाती है।
अध्ययन की प्रासंगिकता और महत्व:
- अध्ययन ‘ब्लैक कार्बन’ को एक संभावित स्वास्थ्य खतरे के रूप में सम्मिलित करता है, तथा यह भारत के विभिन्न भागों में वायु प्रदूषकों का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का प्रमाणदेने और महामारी विज्ञान के अध्ययन हेतु प्रोत्साहित करता है।
- इस अध्ययन से सरकार और नीति-निर्माताओं को परिवर्तित होती जलवायु, वायु प्रदूषण तथा स्वास्थ्य के गठजोड़ से संबंधित विपदाओं को कम करने के लिए बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी।
‘ब्लैक कार्बन’ क्या है?
- यह एक जीवाश्म ईंधन होता है, जो जैव ईंधन और बायोमास के अधूरे दहन के माध्यम से उत्पन्न होता हैऔर मानवजनित और प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली कालिख, दोनों से प्राप्त होता है।
- ऐतिहासिक कार्बन उत्सर्जन के विपरीत, यह स्थानीय स्रोतों से उत्पन्न होता है, और इसका स्थानीय क्षेत्रों पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
- डीजल इंजन, खाना पकाने वाले चूल्हे (cooking stoves), लकड़ी जलाने और वनाग्नि से होने वाला उत्सर्जन ‘ब्लैक कार्बन’ का प्रमुख स्रोत होता है।
- ब्लैक कार्बन, एक अल्पकालिक प्रदूषक है, तथा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद पृथ्वी को गर्म करने में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
स्रोत: द हिन्दू
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