ब्लू फिन महासीर (Blue-finned Mahseer)
हाल ही में ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर’ (IUCN) ने ‘ब्लू फिनेड महासीर/ब्लू फिन महासीर ’ मछली को अपनी रेड लिस्ट की लुप्तप्राय (Endangered) श्रेणी से ‘चिंतनीय’ (Least Concern) श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- टॉर (Tor) वर्ग या वंश से संबंधितमहासीर मछली भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों के कई क्षेत्रों में इसकी उप-प्रजातियाँ पाई जाती हैं। ब्लू-फिनेडमहासीर या टॉरखुद्री (Tor Khudree ), महासीर की बहुत सी उप-प्रजातियों में से एक है।
- पुणे के पूर्व में मोटा मोला (MotaMola) नदी में यह प्रमुखता से पाई जाती है। यह प्रवासी प्रजाति है।इसके अलावा यह प्रजाति दक्कन के पठार में बहने वाली अन्य नदियों में भी पाई जाती है।
- यह स्वच्छ, तीव्र प्रवाह वाले और सुव्यवस्थित ऑक्सीजन युक्त जल क्षेत्रों में पाई जाती है। इसी कारण वर्षा के दौरान यह नदियों की सतह की ओर बढ़ती है ।
- इसकी विलुप्ति का मुख्य कारण इसके निवास स्थानों को नष्ट करना, अत्यधिक कटाई/हार्वेस्टिंग तथा अन्य मछलियों की प्रजातियों से प्रतिस्पर्द्धा का खतरा आदि है ।
- यह ताज़े पानी के पारिस्थितिकी तंत्र के संकेतक का कार्य करती है। क्योंकि यह जल में घुलित ऑक्सीजन के स्तर, तापमान और अस्थिर जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। इसका जीवन या आवास प्रदूषित क्षेत्रों के लिये अनुकूल नहीं है।
संरक्षण संबंधी पहल :
महाराष्ट्र के लोनावाला में एक निजी कंपनी, ‘टाटा पावर’ 50 वर्षों से ‘ब्लू-फिनेड महासीर’ के संरक्षण में कार्य कर रहा है।
स्रोत – द हिन्दू