ब्रिक्स (BRICS) को अवसंरचना एवं व्यवसाय करने की सुगमता पर ध्यान देने की आवश्यकता है

ब्रिक्स (BRICS) को अवसंरचना एवं व्यवसाय करने की सुगमता पर ध्यान देने की आवश्यकता है

ब्रिक्स इकोनॉमिक बुलेटिन 2021 (भारत की अध्यक्षता में) के अनुसार, ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं को महामारी के बाद के उज्ज्वल भविष्य की योजना बनाकर और उस दिशा में कार्य करके उन अवसरों का लाभ उठाने का प्रयत्न करना चाहिए, जो संकट के बीच उभर सकते हैं।

अध्ययन के मुख्य बिंदु:

  • ब्रिक्स देशों के बीच विकास की गति में अंतर रहा है।
  • महामारी के संक्रमणों को नियंत्रित करने की क्षमता के कारण चीन ने शीघ रिकवरी की है। जबकि भारत और ब्राजील आर्थिक विकास की गति पकड़ रहे हैं।
  • रूस और दक्षिण अफ्रीका अब भी आर्थिक गतिविधियों के अपने महामारी-पूर्व स्तर को प्राप्तनहीं कर सके हैं।
  • ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं ने विशेष रूप से वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में महामारी के दौरानअपने विदेशी मुद्रा भंडार की मजबूत स्थिति प्रदर्शित की थी।
  • ब्रिक्स देशों की भुगतान संतुलन की स्थिति मुद्राओं की मजबूती, बाह्य ऋण प्रतिवद्धताओं के रुझान और भंडार की स्थिति के आधार पर लचीली प्रतीत होती है।
  • अध्ययन ने कोविड-19 से उत्पन्न अनिश्चितता, वैश्विक वित्तीय स्थितियों के प्रभावित होने और संकट से उत्पन्न होने वाले सतत आर्थिक एवं संरचनात्मक परिवर्तनों को ब्रिक्स देशों में चिंता के कारकों के रूप में रेखांकित किया है।
  • ब्रिक्स के लिए आर्थिक सुधार का मार्ग उत्पादन के विभिन्न कारकों की उत्पादकता में सुधार की दृष्टि से संरचनात्मक सुधार लागू करना।
  • बुनियादी ढांचे के विकास, व्यवसाय करने में सुगमता, कौशल विकास और रोजगार सृजन पर ध्यान देना। टीकाकरण की गति और प्रभावकारिता में वृद्धि करना।

ब्रिक्स के बारे में

ब्रिक्स, देशों का एक अनौपचारिक समूह है। इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।

ब्रिक्स देशों में शामिल हैं:

  • विश्व की जनसंख्या का 41 प्रतिशत।
  • विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 24 प्रतिशत।
  • विश्व व्यापार में 16% से अधिक हिस्सेदारी।

ब्रिक्स देशों ने तीन स्तंभों के तहत अहम मुद्दों पर की चर्चा की –

  • राजनीति और सुरक्षा,
  • आर्थिक और वित्तीय
  • सांस्कृतिक और लोगों के मध्य विनिमय।

ब्रिक्स के दो महत्वपूर्ण संस्थानः

  • न्यू डेवलपमेंट बैंक – ब्रिक्स देशों में बुनियादी ढांचे और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए
  • आकस्मिक रिजर्व व्यावस्था– इनके भुगतान संतुलन में संकट से प्रभावित देशों के लिए एक वित्तीय स्थिरता तंत्र

स्रोत – द हिन्दू

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