ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक संपन्न
हाल ही में ब्रिक्स (BRICS) देशों के विदेश मंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग का समर्थन किया है।
हाल ही में ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक संपन्न हुई है। बैठक की समाप्ति पर ‘द केप ऑफ गुड होप’ शीर्षक से एक संयुक्त बयान जारी किया गया है।
इसके प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:
- सदस्य देशों ने नियम-आधारित खुले और पारदर्शी वैश्विक व्यापार का समर्थन करने पर प्रतिबद्धता व्यक्त की ।
- एक मजबूत वैश्विक वित्तीय सुरक्षा जाल का समर्थन किया गया। इसके केंद्र में कोटा आधारित और पर्याप्त संसाधन से युक्त अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) होगा ।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय लेन-देन में स्थानीय मुद्राओं का उपयोग (De-dollarisation) करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया ।
- विडॉलरीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके तहत राष्ट्र अपनी आरक्षित मुद्रा विनिमय के माध्यम और यूनिट ऑफ अकाउंट के रूप में अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करते हैं।
विडॉलरीकरण का महत्त्व –
- यह अमेरिकी डॉलर और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर अन्य देशों की निर्भरता को कम करेगा ।
- यह मुद्रा में उतार-चढ़ाव और ब्याज दरों में बदलाव के प्रति देशों की सुभेद्यताओं को कम करेगा ।
- यह आर्थिक स्थिरता में सुधार करेगा और वित्तीय संकट के जोखिम को कम करेगा।
रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम –
- हाल ही में यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, रूस सहित 18 देश भारतीय रुपये में व्यापार करने पर सहमत हुए हैं। भारतीय और रूसी बैंकों ने रुपये में व्यापार के लिए विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं।
- भारत की नई विदेश व्यापार नीति (2023) रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का समर्थन करती है ।
स्रोत – द हिन्दू