बुर्किना फासो में तख्तापलट
हाल ही में बुर्किना फासो के राष्ट्रपति पॉल-हेनरी दामिबा (Paul-Henri Damiba) ने लगभग आठ महीनों में दूसरे तख्तापलट में सैनिकों के एक समूह द्वारा सैन्य सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद अस्थिर पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्र में हिंसा के पश्चात अपने इस्तीफे की घोषणा की।
देश में सुरक्षा की स्थिति में सुधार के लिये दामिबा के वादों के बावजूद उनकी सरकार के तहत संकट और गहरा गया।
अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय (Economic Community of West African States-ECOWAS) ने बुर्किना फासो को संगठन से निलंबित कर, दामिबा के नेतृत्व वाली सरकार से जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है।
बुर्किना फासो का इतिहास:
- एक पूर्व फ्राँसीसी उपनिवेश, बुर्किना फासो को वर्ष 1960 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से कई बार तख्तापलट सहित अस्थिरता का सामना करना पड़ा है।
- बुर्किना फासो नाम का शाब्दिक अर्थ है “ईमानदार पुरुषों की भूमि”, इसे क्रांतिकारी सैन्य अधिकारी थॉमस शंकरा द्वारा चुना गया था, जिन्होंने वर्ष 1983 में सत्ता संभाली थी। वर्ष 1987 में उनकी सरकार को गिरा दिया गया और उन्हें मार दिया गया।
- वर्ष 2015 से यह देश पड़ोसी माली से फैले इस्लामी उग्रवाद से लड़ाई लड़ रहा है। इसने सेना के क्रोध को हवा दी है और बीते वक्त में कभी महत्त्वपूर्ण रहे पर्यटन उद्योग को हानि भी पहुँचाई है।
- चारो तरफ से घिरा बुर्किना फासो, जो सोने का उत्पादक होने के बावजूद पश्चिम अफ्रीका के सबसे गरीब देशों में से एक है, ने वर्ष 1960 में फ्राँस से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से कई तख्लतापलट की घटनाओं को देखा है।
- इस्लामी चरमपंथियों ने बुर्किना फासो क्षेत्र के कई हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया है और कुछ क्षेत्रों में निवासियों को इस्लामी कानून के अपने कठोर संस्करण का पालन करने के लिये मज़बूर किया है, जबकि विद्रोह को दबाने के लिये सेना द्वारा किया जा रहे संघर्ष ने दुर्लभ राष्ट्रीय संसाधनों को समाप्त कर दिया है।
स्रोत – द हिंदू