सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक ‘बिंदेश्वर पाठक’ का निधन
हाल ही में प्रसिद्ध समाज सुधारक और सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
वर्ष 1943 में जन्मे डॉ. बिंदेश्वर पाठक बिहार के वैशाली जिले के गांव रामपुर बघेल के निवासी थे।
स्वच्छता की दिशा में प्रयास:
- उन्हें भारत में क्रांतिकारी सुलभ कॉम्प्लेक्स सार्वजनिक शौचालय प्रणाली लाने का श्रेय दिया जाता है।
- उन्होंने खुले में शौच और मैला ढोने की प्रथा को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। श्री पाठक अपने गैर-लाभकारी संगठन से निकटता से जुड़े थे और “अंत तक काम करते रहे”।
- बिहार में जन्मे और वहीं से शिक्षा प्राप्त किये, श्री पाठक ने भारत में सार्वजनिक शौचालय प्रणाली शुरू करने के लिए 1970 में सुलभ अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सेवा संगठन की स्थापना की थी,
- यह शिक्षा के माध्यम से मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
- वर्ष 1968 में उन्होंने डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय बनाया, जिसे कम खर्च में घर के आसपास मिलने वाली सामग्री से बनाया जा सकता था।
- समय के साथ उन्होंने 1970 में सुलभ आंदोलन शुरू किया और अपना जीवन मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने और स्वच्छता पर जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित कर दिया।
- श्री पाठक ने देश भर में 10,000 से अधिक सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करके स्वच्छता का समर्थन किया था।
पुरस्कार
- सामाजिक कार्यों के लिए 1991 में श्री पाठक को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था और बाद में वे सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के राजदूत बने ।
- वर्ष 1992 में पर्यावरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सेंट फ्रांसिस पुरस्कार प्राप्त हुआ। 2009 में उन्हें रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा स्टॉकहोम वॉटर पुरस्कार मिला।
- संगठन को अक्षय पात्र फाउंडेशन के साथ संयुक्त रूप से 2016 के लिए गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- डॉ. बिंदेश्वर पाठक के प्रयासों के चलते ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने 19 नवंबर 2013 को वर्ल्ड टॉयलेट डे के रूप में मान्यता दी।
स्रोत – द हिन्दू