गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध
हाल ही में ‘विदेश व्यापार महानिदेशालय’ (DGFT) ने 20 जुलाई 2023 को एक अधिसूचना जारी कर ‘गैर-बासमती सफेद चावल’ के निर्यात को ‘मुक्त’ निर्यात श्रेणी से ‘निषिद्ध’ श्रेणी में ट्रांसफर कर दिया है।
प्रतिबंध लगाने का कारण
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार, घरेलू बाजार में ‘गैर-बासमती सफेद चावल’ की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
भारत ने बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और विभिन्न अनाजों के निर्यात पर 20% टैक्स लगाया था।
इसके बावजूद भी चावल की घरेलू कीमतें बढ़ रही हैं। बयान में कहा गया है कि खुदरा कीमतों में एक साल में 11.5% और पिछले महीने में 3% की वृद्धि हुई है।
केंद्र ने कहा कि, हालांकि 20% निर्यात शुल्क लगाने के बाद भी इस किस्म का निर्यात 33.66 लाख मीट्रिक टन (सितंबर-मार्च 2021-22) से बढ़कर 42.12 लाख मीट्रिक टन (सितंबर-मार्च 2022-23) हो गया, जो 35% की वृद्धि को दर्शाता है।
वैश्विक चावल व्यापार में भारत का महत्व
यह दुनिया के चावल निर्यात का 40% से अधिक हिस्सा है और देश से निर्यात होने वाले कुल चावल का लगभग 25-30 प्रतिशत गैर-बासमती सफेद चावल है।
2022 में इसका चावल शिपमेंट अगले 4 निर्यातकों – थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका – से अधिक था।
भारत प्रमुख रूप से ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात करता है।
भारत ने 2022 में 17.86 मिलियन टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया, जिसमें 10.3 मिलियन टन गैर-बासमती सफेद चावल भी शामिल है।
विदेश व्यापार निदेशालय’(DGFT)
विदित हो ‘विदेश व्यापार निदेशालय’(DGFT), ‘वाणिज्य विभाग’ के अंतर्गत आता है। यह निर्यात और आयात को बढ़ावा देने और सुविधा प्रदान करने वाली शासी निकाय है।
यह विदेश व्यापार नीति को लागू करने के लिए जिम्मेदार है और भारतीय निर्यात को बढ़ावा देना चाहता है।
यह देश के भारतीय आयातकों और निर्यातकों के लिए एक्ज़िम दिशानिर्देश और सिद्धांत भी तैयार करता है।
भारत में चावल का उत्पादन
देश के लगभग सभी राज्यों में चावल उगाया जाता है हालाँकि चावल उत्पादन में शीर्ष राज्य पश्चिम बंगाल, यूपी, आंध्र प्रदेश, पंजाब और तमिलनाडु हैं।
क्षेत्रफल के अनुसार भारत में, चावल 43.86 मिलियन हेक्टेयर में उगाया जाता है
विश्व में चावल उत्पादकता में चीन का प्रथम स्थान है जिसकी उत्पादकता 6710 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, इसके बाद वियतनाम और इंडोनेशिया और बांग्लादेश आदि देश हैं।
जलवायु संबंधी आवश्यकताएँ:
चावल की फसल को गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। यह उन क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है जहां उच्च आर्द्रता, लंबे समय तक धूप और पानी की सुनिश्चित आपूर्ति होती है।
फसल के पूरे जीवन काल में आवश्यक औसत तापमान 21 से 37 डिग्री सेल्सियस तक होता है। फसल में कल्ले निकलने के समय विकास की तुलना में अधिक तापमान की आवश्यकता होती है।
आमतौर पर बुआई निम्नलिखित दो विधियाँ अपनाई जाती हैं, सीधी बुआई या प्रसारण विधि व रोपाई विधि।
देश में चावल लगभग सभी फसल मौसमों यानी खरीफ, रबी और ग्रीष्म ऋतु में उगाया जाता है।
स्रोत – द हिन्दू