बाली यात्रा उत्सव
हाल ही में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री ने बाली यात्रा का उल्लेख किया है।
- बाली यात्रा इंडोनेशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ ओडिशा के प्राचीन संबंधों को याद करने वाला उत्सव है। यह भारत के सबसे बड़े मुक्ताकाश मेलों में से एक है।
- बाली यात्रा का आयोजन हर साल किया जाता है। इसे प्राचीन कलिंग (वर्तमान ओडिशा) और बाली तथा दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य क्षेत्रों के बीच समुद्री एवं सांस्कृतिक संपर्कों का उत्सव मनाने के लिए आयोजित किया जाता है।
- दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य क्षेत्रों, जैसे कि जावा, सुमात्रा, बोर्नियो, बर्मा (म्यांमार) और सीलोन (श्रीलंका) के साथ भी प्राचीन कलिंग के संबंध रहे हैं।
- यह यात्रा उत्सव महानदी नदी के तट पर मनाया जाता है। इसकी शुरुआत कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर-नवंबर में पूर्णिमा के दिन ) से होती है ।
- यह उत्सव बाली के ‘मसकपन के तुकड़’ त्यौहार के समान है।
कलिंग साम्राज्य के समुद्री गतिविधि संबंधी इतिहास के बारे में
- कालिदास ने रघुवंश काव्य में कलिंग के राजा का ‘सागर के स्वामी’ (महोदधिपति) के रूप में उल्लेख किया है। यह संबोधन समुद्री मार्गों पर कलिंग के प्रभुत्व का सूचक है ।
- भौगोलिक अवस्थिति के कारण चौथी और पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में कलिंग में कई बंदरगाहों का विकास हुआ था।
- कुछ प्रसिद्ध बंदरगाह थे: ताम्रलिप्ति, माणिकपटना, चेलिटालो, पलूर, पिथुंडा, दंतपुरा, कलिंग नगर आदि ।
- कलिंगों ने ‘बोइता’ (Boita) नामक बड़ी नावों का निर्माण किया था।
- दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के अलावा, पूर्वी अफ्रीकी तथा कुछ अरब देशों के साथ भी व्यापारिक संबंध थे।
- मुगल और ब्रिटिश शासन के दौरान व्यापार में गिरावट आ गई थी ।
बाली और कलिंग के बीच संबंध के प्रमाण
- बाली और ओडिशा दोनों में सामाजिक-सांस्कृतिक केंद्र के रूप में मंदिर महत्वपूर्ण रूप से समानता रखते हैं।
- उत्तर पूर्वी बाली में स्थित सेम्बिरन में और ओडिशा के माणिकपटना, तामलुक स्थलों में समान प्रकार के रूले (roulette) देखे गए हैं ।
- बाली से 14वीं शताब्दी ईस्वी का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है, जो उड़िया भाषा में है। इसके अलावा, दसवीं शताब्दी ईस्वी में बाली में प्रयुक्त लिपियों का कलिंग में भी उपयोग किया गया था।
- बाली में ब्राह्मणों के एक वर्ग ने स्वयं कोब्राह्मण – बुद्ध-कलिंग के रूप में प्रस्तुत किया है।
स्रोत – द हिन्दू