प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बायो- ट्रांसफॉर्मेशन प्रौद्योगिकी विकसित

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प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बायो- ट्रांसफॉर्मेशन प्रौद्योगिकी विकसित

हाल ही में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बायो- ट्रांसफॉर्मेशन प्रौद्योगिकी विकसित की गई है।

  • यूनाइटेड किंगडम के एक स्टार्टअप ने बायो-ट्रांसफॉर्मेशन प्रौद्योगिकी विकसित करने का दावा किया है। यह प्रौद्योगिकी प्लास्टिक की अवस्था को बदल कर उसे जैव निम्नीकरणीय (biodegradable) बना सकती है।
  • यह प्रौद्योगिकी प्लास्टिक अपशिष्ट का जैव निम्नीकरण सुनिश्चित करती है। इस क्रम में यह अपशिष्ट के रूप में माइक्रो – प्लास्टिक भी उत्पन्न नहीं होने देती है ।
  • इस प्रौद्योगिकी का उपयोग करके बनाए गए प्लास्टिक पारंपरिक प्लास्टिक की तरह ही होते हैं। हालांकि, उपयोग अवधि के बाद ये स्वयं नष्ट हो जाते हैं और बायो-अवेलेबल मोम में जैव-रूपांतरित हो जाते हैं।
  • सूक्ष्मजीव इस मोम को अपघटित करके जल, CO2 और बायोमास में परिवर्तित कर देते हैं।
  • बायो– अवेलेबल (Bioavailable) किसी पदार्थ की शरीर द्वारा अवशोषित और उपयोग कर लिए जाने की दर है ।
  • खाद्य पैकेजिंग और स्वास्थ्य देखभाल उद्योग ऐसे दो प्रमुख क्षेत्रक हैं, जो इस प्रौद्योगिकी का उपयोग अपशिष्ट को कम करने के लिए कर सकते हैं।

जैव निम्नीकरणीय समाधानों की आवश्यकता क्यों है?

  • भारत वार्षिक रूप से 3.5 बिलियन किलोग्राम प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पन्न करता है। वर्ष 2017-2022 की अवधि में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन दोगुना हो गया है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट का एक तिहाई हिस्सा पैकेजिंग अपशिष्ट का होता है।
  • ‘प्लास्टिकः द पोटेंशियल एंड पॉसिबिलिटीज’ रिपोर्ट, 2023 के अनुसार भारत अपने प्लास्टिक अपशिष्ट का केवल 30 प्रतिशत ही पुनर्चक्रित करता है ।

भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट से निपटने के लिए आरंभ की गई पहलें

  • एकल उपयोग (single-use) प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही, एकल उपयोग प्लास्टिक के उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय डैशबोर्ड लॉन्च किया गया है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 अधिसूचित किए गए हैं।
  • प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) सिद्धांत को लागू किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त, प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने के प्रयास में उत्तराखंड सरकार चार धाम मार्ग को प्लास्टिक की बोतलों और पैकेट्स अपशिष्ट से मुक्त बनाने के लिए एक QR कोड-आधारित परियोजना लागू कर रही है।
  • इसके तहत आगुंतकों को प्रत्येक प्लास्टिक की बोतल और मल्टी-लेयर प्लास्टिक बैग पर एक QR कोड को स्कैन करना होगा तथा अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक राशि जमा करनी होगी।
  • यह राशि इन बोतलों व बैग्स (उपयोग के बाद) को वापस लौटाने पर उन्हें वापस मिल जाएगी।

स्रोत – द हिन्दू

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