बायोफोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ
हाल ही में भारतीय उद्योग उत्पादों के समान बायोफोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों की लोकप्रियता एवं अलग ब्रांडिंग पर बल दिया है
विदित हो कि वर्ष 2022 में बायोफोर्टिफिकेशन के वैश्विक बाजार 100.84 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। इसके 2023 से 2030 तक 8.9 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR ) से बढ़ने का अनुमान है।
पोषक तत्वों से भरपूर फसलों तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए सरकार निजी क्षेत्र की सहायता ले रही है।
बायोफोर्टिफिकेशन के बारे में :
बायोफोर्टिफिकेशन आवश्यक विटामिन और खनिजों के स्तर को बढ़ाकर फसलों की पोषण सामग्री को बढ़ाने की एक प्रक्रिया है ।
इसे निम्नलिखित के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है-
कृषि विज्ञान पद्धतियों (मृदा का प्रत्यक्ष उर्वरीकरण शामिल है),
पारंपरिक ब्रीडिंग या जैव प्रौद्योगिकी आधारित विधियों (जैसे आनुवंशिक इंजीनियरिंग और जीनोम संपादन) आदि ।
बायोफोर्टिफिकेशन के लाभः
बायोफोर्टिफिकेशन का मुख्य उद्देश्य कमजोर आबादी की पोषण स्थिति में सुधार करना है, खासकर विकासशील देशों में जहां कुपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी प्रचलित है।
यह एक प्रकार से संधारणीय है । इसकी एक बार रोपण सामग्री प्राप्त हो जाने के बाद इसका संरक्षण व पुनर्चक्रण किया जा सकता है और अन्य किसानों तक इसका प्रसार भी किया जा सकता है।
यह लागत प्रभावी भी है, क्योंकि यह आकलन किया गया है कि बायो फोर्टिफाइड फसलों के उत्पादन को बनाए रखने की बार-बार आने वाली लागत कम होती है ।
चावल, गेहूं, मक्का और बीन्स जैसी प्रमुख फसलों की पोषक तत्व सामग्री को बढ़ाकर , बायोफोर्टिफिकेशन का उद्देश्य कुपोषण और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए एक स्थायी और लागत प्रभावी समाधान प्रदान करना है।
FSSAI ने फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों की पहचान के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन) विनियम, 2018 के तहत ‘+F लोगो को अधिसूचित किया है।
चुनौतियाँ:
इससे प्राप्त होने वाले सूक्ष्म पोषक तत्वों की अतिरिक्त मात्रा बहुत ही कम होगी,
इसके द्वारा व्यवहार्य फसल विकसित करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होगी,
सामग्री और पोषक तत्वों के संयोजन को समायोजित करने के लिए इसमें कम लचीलापन है आदि ।
स्रोत – द बिजनेस लाइन