संसद में बाढ़ प्रबंधन पर रिपोर्ट प्रस्तुत
हाल ही में, संसद में जल संसाधन संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने बाढ़ प्रबंधन पर रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट में देश भर में बाढ़ के संकट पर चिंता व्यक्त की गई है।
मुख्य चिंताएं
- भारतीय संविधान की तीनों विधायी सूचियों में से किसी में भी बाढ़ नियंत्रण के विषय का उल्लेख नहीं किया गया है।
- हालांकि, राज्य सूची (द्वितीय सूची) की प्रविष्टि 17 में जल निकासी और तटबंधों का उल्लेख किया गया है।
- प्रतिवर्ष बाढ़ से होने वाली अत्यधिक हानि और क्षति, बाढ़ नियंत्रण नीति/उपायों कीविफलता, अपर्याप्त तैयारी तथा अप्रभावी आपदा प्रबंधन का संकेत है।
- वर्ष 1980 में राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (National Perspective Plan: NPP) आरंभ किएजाने के बावजूद नदियों के अंतर्योजन (interlinking) की कोई भी परियोजना अभी तक क्रियान्वित नहीं हो सकी है।
- इस रिपोर्ट में अरुणाचल प्रदेश की जलविद्युत परियोजनाओं के कारण विशेष रूप से असममें ब्रह्मपुत्र घाटी के जलमग्न होने पर चिंता व्यक्त की गई है।
सुझाव
- रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ‘बाढ़ नियंत्रण और प्रबंधन को संविधान की समवर्ती सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
- इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय एकीकृत बाढ़ प्रबंधन समूह (national Integrated Flood Management Group: NIRMG) के रूप में केंद्र के अंतर्गत एक स्थायी संस्थागत संरचना स्थापित करने की अनुशंसा की गई है।
- इस समूह का अध्यक्ष केंद्रीय जल शक्ति मंत्री होगा और राज्य सरकारों के संबंधित मंत्री सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
- इसके द्वारा नदियों के अंतर्योजन की दिशा में केंद्र सरकार से तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू