हाल ही में, राज्यसभा ने बांध सुरक्षा विधेयक, 2019 पारित किया है।भारत के पुराने बांधों पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में स्थितगांधी सागर बांध को तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है ।
CAG की रिपोर्ट के अनुसार, नियमित जांच का अभाव, काम न आने वाले उपकरण और बाधित निकासी वर्षों से बांध कोहानि पहुंचाने वाले प्रमुख कारक रहे हैं।
CAG द्वारा रेखांकित किए गए अन्य मुद्दे
- राज्य बांध सुरक्षा संगठन (SDSO) ने उपचारात्मकउपायों पर केंद्रीय जल आयोग (CWC) और डैमसेफ्टीरिव्युपैनल(DSIP) की सिफारिशों का पालन नहीं किया है।
- जल को अनियमित रूप से छोड़ना।
- वर्षा के बदलते पैटर्न से निपटने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं।
- बांध जल भंडारण हेतु नदियों पर निर्मित कृत्रिम अवरोध होते हैं। ये सिंचाई, विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण और जलापूर्तिमें मदद करते हैं।
- जून 2019 तक, भारत में 5,745 बड़े बांध (निर्माणाधीन बांध सहित) थे।
- चीन और अमेरिका के बाद भारत विश्व में तीसरा सर्वाधिक बांधों वाला देश है।
- भारत में अधिकांश बांधों का निर्माण और रखरखाव राज्यों द्वारा किया जाता है। कुछ बड़े बांधों का प्रबंधन स्वायत्त निकायों द्वारा किया जाता है उदाहरण के लिए दामोदर घाटी निगम या भाखड़ा-नांगल परियोजना के लिए भाखड़ाब्यासप्रबंधन बोर्ड आदि।
- इनमें से 75 प्रतिशत से अधिक बांध 20 वर्ष से अधिक पुराने हैं। लगभग 220 बांध 100 वर्ष से अधिक पुराने हैं। ये सुरक्षा संबंधी अधिक जोखिम पैदा करते हैं।
बांध सुरक्षा विधेयक, 2019
- विधेयक में सभी राज्यों और संघराज्यक्षेत्रों को एक समान बांध सुरक्षा प्रक्रियाओं को अपनाने में मदद करने का प्रस्ताव किया गया है। यह विधेयक देश में विशेष बांधों की सुरक्षित कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापितकरने का प्रयास करता है।
- यह देश में सभी बड़े बांधों की पर्याप्त निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव सुनिश्चित करता है, ताकि बांध विफलता से संबंधितआपदाओं को रोका जा सके।इस विधेयक को वर्ष 2019 में ही लोकसभा ने पारित कर दिया था।
स्रोत –द हिन्दू