केंद्र द्वारा बहुराज्य सहकारी सोसाइटी (Multi State Cooperative Societies: MSCS) अधिनियम, 2002 में संशोधन किए जाएगा।
- सहकारिता राज्य सूची का एक विषय है, किंतु चीनी, दुग्धबैंक आदि से संबंधित कई समितियां हैं, जिनके सदस्य एवं संचालन के क्षेत्र एक से अधिक राज्यों में विस्तारित हैं।
- ऐसी सहकारी समितियों से संबंधित कानून को मजबूत करने के लिए MSCS अधिनियम बनाया गया था।
- उनके निदेशक मंडल में उन सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है, जिनमें वे कार्य करते हैं।
- इन समितियों का प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण केंद्रीय रजिस्ट्रार के पास होता है। इसलिए राज्य सरकार का कोई भी अधिकारी इन पर कोई नियंत्रण नहीं रख सकता है।
- इस कानून के लागू होने के बाद से अब तक ऐसी 1,479 सोसायटियों को पंजीकृत किया जा चुका है, जिनमें से 9 का पंजीकरण रद्द भी किया गया है।
- महाराष्ट्र में इनकी सर्वाधिक संख्या है। इसके बाद उत्तर प्रदेश और नई दिल्ली का स्थान है।
MSCS अधिनियम से जुड़े मुद्दे
- पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दिन-प्रतिदिन के सरकारी नियंत्रण और निगरानी एवं संतुलन का अभाव।
- राज्य सहकारी समितियों के विपरीत, जिन्हें राज्य रजिस्ट्रार के समक्ष अनेक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती हैं, वहीं MSCS को इसकी आवश्यकता नहीं होती है।
- राज्य स्तर पर कोई अधिकारी या कार्यालय नहीं होने के कारण जमीन स्तर पर बुनियादी ढांचे का अभाव है। साथ ही, अधिकांश कार्य ऑनलाइन या पत्राचार के माध्यम से किए जा रहे हैं।
- इससे पूर्व MCSC सहित सहकारी समितियों के कामकाज में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के लिए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया था।
स्रोत – द हिन्दू