बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफ़ोर्ड पावर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) द्वारा बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 Multidimensional Poverty Index – MPI, 2022) जारी किया गया है।
MPI 2022 के तहत “बहुआयामी गरीबी को कम करने हेतु पृथकीकरण गठरी को खोलना” रिपोर्ट (Unpacking deprivation bundles to reduce multidimensional poverty report) के अनुसार पिछले 15 वर्षों में भारत में गरीब लोगों की संख्या में लगभग 415 मिलियन की गिरावट आई है, फिर भी भारत में गरीबों की आबादी सर्वाधिक है।
प्रमुख निष्कर्ष:
- सबसे गरीब राज्यों ने सबसे तेजी से गरीबी कम की है। बच्चों में गरीबी तेजी से कम हुई है। हालांकि, भारत में अभी भी दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब बच्चे हैं।
- 15 वर्षों में गरीबी की घटनाएं 1% से गिरकर 16.4% हो गई हैं। 16.4% में से 4.2% लोग अत्यधिक गरीबी में रहते हैं।
- लगभग 2% गरीब ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, और 5.5% गरीब शहरों में रहते हैं।
- 2015-16 और 2019-21 के बीच गरीबी में गिरावट की दर सालाना 9% थी, जोकि 2005-06 और 2015-16 के बीच 8.1% की तुलना में अधिक तेज थी।
सुझाव:
- पोषण, खाना पकाने के ईंधन, आवास और स्वच्छता में अभाव से निपटने के लिए एक एकीकृत नीति।
- स्कूलों में सब्सिडी वाले भोजन, प्रारंभिक चाइल्ड कैअर केंद्रों और मध्याह्न भोजन तक पहुंच को सक्षम बनाना।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)
- वैश्विक MPI निर्धनता को लेकर 107 विकासशील देशों को कवर करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय उपाय है।
- इसे पहली बार 2010 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की मानव विकास रिपोर्ट के लिए ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (Oxford Poverty and Human Development Initiative- OPHI) और UNDP द्वारा विकसित किया गया था।
स्रोत – द हिन्दू