जम्मू की ‘बसोहली पेंटिंग’ को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग मिला
हाल ही में जम्मू संभाग के कठुआ जिले की विश्व प्रसिद्ध बसोहली पेंटिंग (Basohli Painting) को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग मिला है। बसोहली पेंटिंग जम्मू क्षेत्र का पहला स्वतंत्र GI टैग है।
GI के इतिहास में यह पहली बार है कि जम्मू क्षेत्र को हस्तशिल्प के लिए GI टैग मिला है।
बसोहली पेंटिंग के बारे में
बसोहली एक प्रकार की पहाड़ी चित्रकला है। इसके प्रारंभिक चित्र, विशेष रूप से रसमंजरी श्रृंखला, कृष्ण को नायक के रूप में चित्रित करते हैं।
इन चित्रों की सबसे विशिष्ट विशेषता थी आभूषणों का चित्रण ।
बसोहली पेंटिंग के बाद के चरण पर शासक के वैष्णववाद की धार्मिक आस्था का स्पष्ट संकेत प्राप्त होता है। वैसे प्रकृतिवाद के चित्रण पर भी जोर दिया गया।
जहां बसोहली पेंटिंग्स के बाद के चरण को अधिक पॉलिश माना जाता है, वहीं आरंभिक चरण की पेंटिंग समान रूप से उल्लेखनीय थीं।
बाद के काल में मनकु द्वारा रचित ‘गीता गोविन्द श्रंखला’ का विशेष महत्व है।
बसोहली शैली 18वीं शताब्दी के मध्य तक जारी रही और अन्य शहरों में भी फैल गई। यह शैली कभी भी पूरी तरह से लुप्त नहीं हुई और माना जाता है कि इसने कला के अन्य केंद्रों को प्रेरित किया।
भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication-GI)
एक भौगोलिक संकेतक का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।
इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषताएँ एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।
उदाहरण के तौर पर- दार्जिलिंग की चाय, जयपुर की ब्लू पोटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू कुछ प्रसिद्ध GI टैग हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है।
वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और सरंक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ था।
वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।
भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है।
GI पंजीकरण के लाभ
यह भारत में भौगोलिक संकेतक के लिये कानूनी संरक्षण प्रदान करता है।
दूसरों के द्वारा किसी पंजीकृत भौगोलिक संकेतक के अनधिकृत प्रयोग को रोकता है।
यह भारतीय भौगोलिक संकेतक के लिये कानूनी संरक्षण प्रदान करता है जिसके फलस्वरूप निर्यात को बढ़ावा मिलता है।
यह संबंधित भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं के उत्पादकों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है।
स्रोत – टाइम्स ऑफ इंडिया